कभी सोचा! नौवारी पैठानी, मुंडावल्या, पेशावरी नथ, माथे पर अर्ध चन्द्रमा सजाकर मराठी शादी की रस्में कैसे निभाती मराठी दुल्हन?
इस ब्लॉग में जानते हैं मराठी विवाह परम्पराएं क्या हैं 🙂।
यह भी पढ़ें
शादी समाप्त होने के बाद वरमाला का क्या करें
मराठी शादी की रस्में हैं अनूठी गणपति बन जाते हैं नव रिश्ते की जड़ीबूटी
गणपति निमंत्रण भारत के हर विवाह का विधान है। आज बात करें गणपति पूजा के लिए मशहूर महाराष्ट्र में मराठी शादी के रिवाज़ की।
जानें महाराष्ट्रीयन विवाह में क्या होता है।
लग्न के पहले की रस्में
लगाच बेडर
यह कुंडली मिलान की रस्म है। आजकल बच्चों की पसंद से रिश्ते होते हैं तो यह नहीं होता है। बहुत लोग आज भी इसे ज़रूरी मानते हैं।
साखरपुड़ा
यह दोनों पक्षों द्वारा नवीन रिश्ते की शुरुआत स्वरुप साखर अर्थात शक्कर का पैकेट देने की रस्म है। इसे औपचारिक सगाई भी कह सकते हैं। इस दिन लड़का और लड़की अपने अपने घर में ईश्वर को स्मरण कर पूजन करते हैं। घर के लोग उनकी आरती उतारते हैं और बैंक्वेट के लिए चलने से पहले नारियल फोड़ते हैं। आखिर यही तो तरीका है न भारत में किसी अच्छे काम की शुरुआत का।
वर की माँ कन्या का श्रृंगार कर होने वाली बहू को हल्दी कुमकुम लगाकर हरी कांच की चूड़ियाँ पहनाती हैं। ऐसे ही लड़की के बाबा लड़के का तिलक कर उसे शगुन देते हैं। पुरोहित कलश स्थापित कर लड़की और फिर लड़के से पूजन कराते हैं। दोनों एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। अब बाकी परिजन भी लड़का लड़की का तिलक करते हैं।
केल्वक की रस्म
केल्वक शादी के पहले कुलदेवी या देवता को विवाह का निमंत्रण देकर उनका आशीर्वाद लेने की की रस्म है। इसके बाद लड़का/लड़की के निकट रिश्तेदार उसे बुलाते हैं। लड़का एवं लड़की शादी के पहले अपने करीबी रिश्तेदारों के निमंत्रण पर उनके घर जाकर भोज करते हैं। इसी दौरान विवाह का कार्ड भी देते हैं।
हलद चढ़उने
लगन के कुछ दिन पहले आती है हल्दी की रस्म। पांच सुहागिन मिलकर चक्की, खरल और ओखली की पूजा करती हैं। शादीशुदा बहन चक्की, खरल, ओखली को कलावा बांधती हैं और कुमकुम हल्दी लगाती हैं। सब एक दूसरे को हल्दी कुमकुम का तिलक लगाती हैं। इसके बाद ही ओखली, खरल, चक्की में क्रमशः हल्दी की गांठ को पीसकर उबटन के लिए हल्दी तैयार करते हैं।
विवाह के एक दिन पहले लड़के और लड़की को यही हल्दी का लेप पान या आम के पत्ते से लगाया जाता है। बाद में लड़का या लड़की की आरती उतारते हैं।
लगन का दिन
गणपति पूजा
विघ्नहरण मंगलकरण श्री गणपति महाराज। बात हो अगर मराठी में शादी कैसे होती है तो यहां लालबागचा बादशाह तो आएगा ही। 🙂 विवाह के दिन दोनों के माता पिता अपने घर गणपति जी की पूजा कर उन्हें आमंत्रित करते हैं ताकि विवाह और वैवाहिक जीवन आगे निर्विघ्न रहे।
देवदेवक और पुण्यवचन
विवाह मंडप में पूजन कर देवताओं का आह्वान किया जाता है। मराठी शादी में इसे बस लोकाचार का अंतर कह सकते हैं। यहाँ देवदेवक परिवार के इष्ट देवी और देवताओं को मंत्रोच्चारण से मंडप में आमंत्रित करने की रस्म है।
गौरिहर पूजा और सीमांत पूजन
गौरिहर माँ गौरी की पूजा है। इसमें कन्या विवाह के लिए तैयार होकर सबसे पहले माँ गौरी को अच्छा वर देने के लिए आभार व्यक्त करती ह। माँ का श्रृंगार कर उनसे आगे सुखमय जीवन का आशीष लेकर कन्या विवाह के लिए जाती है।
वहीं सीमंता पूजा द्वार पर दूल्हे के स्वागत की रस्म है। इसमें बारात आगमन पर दुल्हन की माँ दामाद के पैर धोती हैं और पैर पर रोली लगती हैं। उसकी आरती उतारती हैं।
अंतरपट और वरमाला
कन्या जब मंडप में आती है तब उसके आगे पर्दा होता है जिसे अंतरपट कहते हैं। यह पर्दा इन्तजार कर रहा है विवाह के शुभ मुहूर्त का जब लड़का लड़की एक दुसरे को प्रथम बार देखेंगे। तय मुहूर्त तक पुरोहित पूजा पाठ और मंत्रोच्चारण करते हैं जिसके बाद लड़का लड़की एक दूसरे को देखते हैं। इसी समय वो दोनों एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं।
कन्यादान और सप्तपदी
मंडप में कन्या के माता पिता कन्यादान का संकल्प लेते हैं और फिर विधिवत कन्या का हाथ वर के हाथ में देकर कन्यादान करते हैं। लड़का कन्या को मंगलसूत्र पहनाता है जिसके बाद लड़के की बहन दोनों का गठबंधन करती है (लड़के का पटका लड़की की शॉल में बांधती है)।
अब होते हैं सप्तपदी संग अग्नि के फेरे और दोनों को घोषित किया जाता है पति- पत्नी।
कर्म संपत्ति और वरत
कर्म संपत्ति है आशीर्वाद की रस्म। नवविवाहित पति-पत्नी मंडप में मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। ये आशीष उनके विवाहित जीवन का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके बाद होती है वरत अर्थात विदाई।
विवाह के बाद की रस्में
गृह प्रवेश
गृह प्रवेश के समय लड़के की बहनें भाई भाभी को द्वार पर रोककर उससे शगुन लेती हैं और मराठी छंद भी सुनती हैं। वधु देहली रखे चावल के कलश को सीधे पैर से अंदर गिराती है। थाली में रखे कुमकुम के घोल में पैर रख घर की लक्ष्मी अपने पद चिन्ह घर की मिटटी में छोड़ आगे बढ़ती है।
हल्द उतरावन
शादी के पहले जैसे हल्दी चढ़ाई जाती है वैसे ही शादी के बाद लड़के के घर दूल्हा दुल्हन की हल्दी उतारने की रस्म होती है। उत्तर भारत में जहाँ विवाह के बाद हाथ में बंधा कंगना या सांकड़ी राखी खोलने की रस्म होती है मराठी शादी में पति पत्नी एक दुसरे के सिर पर बंधा मुंडावल्या उतारते हैं। फिर एक दूसरे को हल्दी लगाते हैं। इसके बाद लोकाचार जहाँ जैसा है वैसे हंसी मजाक के खेल खेलते हैं।
ये थी मराठी विवाह की रस्में। मुझे आशा है कि मेरा ब्लॉग पढ़कर आपको इन रस्मों की श्रृंखला ज्ञात हुई होगी और समझ आया होगा कि मराठी लोगों की शादी कैसे होती है। आपके मन में इन रस्मों से जुड़े संशय हों तो मुझे comment section में अवश्य बताएं। मुझे इनसे जुड़े तथ्य ढूंढने और आपसे साझा करने में बेहद हर्ष होगा।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!