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शादी के बाद दुल्हन मायके पगफेरे के लिए ज़रूर जाती है। आप सोचेंगे ये पग फेरे की रसम में क्या होता है ? 

आज इस ब्लॉग में मैं संस्कारी सुरभि लेकर आई हूँ इस कौतूहल का निवारण। 

पग फेरे की रसम में क्या होता है

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अगर आप नहीं जानते कि फेरा डालने की रस्म क्या है तो पगफेरे की रस्में कैसे निभाएंगे?   

समझते हैं शादी के बाद जब पहली बार बिटिया आएगी फेरा डालने तब क्या करना है ? 

क्यों और कब होती है पगफेरे की रस्म ?  

लक्ष्मी रूपा कन्या को विदा करने के बाद शादी के तीसरे दिन उसका भाई लेने आता है। लक्ष्मी आगमन की भांति ही बिटिया का घर में स्वागत होता है। इस रस्म के बाद बेटी का आवागमन चलता रहता है। 

फेरा डालने की रस्म शादी के तीसरे दिन होती है। फिर भी शादी में पंडित जी से इस रस्म के लिए श्रेयस्कर दिन पूछ लिया जाता है।     

क्या पगफेरे की रस्म पूरे भारत में होती है ? 

हम किसी भी विवाह का हिस्सा ज्यादा से ज्यादा लड़की की विदाई तक होते हैं और लड़के की शादी में बहु के गृहप्रवेश तक। ऐसे में पगफेरे की रस्म अनुभव करने को कम ही मिलती है। अलग अलग नामों से यह रस्म लगभग पूरे भारत में मनाई जाती है। जैसे कश्मीरी शादी में इसे सतरात कहते हैं उत्तर प्रदेश में कहीं कहीं इसे  गौना भी कहते है। नाम अनेक रस्म एक 🙂।  

फेरा डालने जाते समय लड़के के घर में क्या रस्म करते हैं 

राजस्थान में दुल्हन का छोटा भाई साथ में ही विदा होकर जाता है और तीसरे दिन बहन को साथ लेकर आता है। घर से निकलते हुए नन्द या सास अपनी नयी दुल्हन, दूल्हे व बहु के भाई का तिलक करती हैं।  

बहु घर से जाते हुए घर की दहलीज पर स्वास्तिक बना कर जाती है। बहु और उसके भाई को शगुन दिए जाते हैं।  साथ ही दुल्हन के मायके के लिए भी शगुन में मिठाई, फल व छोटे भाई बहनों के लिए gifts होते हैं।  

पगफेरे की रस्म में लड़की के घर क्या होता है       

दुल्हन की बहन दुल्हन के पैरों पर पानी डालकर सेवल करती है। माँ आरती कर तिलक करती हैं और घर में प्रवेश कराती है। दुल्हन को ले जाने दूल्हा आता है।  

उत्तर भारत में बेटी की शादी के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की कथा कराने की प्रथा है। कुछ लोग यह कथा और हवं पगफेरे वाले दिन ही बेटी दामाद के साथ कराते हैं। नव विवाहित दम्पति को भगवान् सत्यनारायण, लड़की के कुलदेवता एवं घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद मिलता है। 

जो कथा नहीं कराते हैं वो अपनी बेटी व् दामाद को लेकर मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। इसके बाद घरवाले बेटी दामाद का तिलक कर उन्हें शगुन व् तोहफे देकर विदा करते है। 

यह थी पगफेरे से संबंधित जानकारी। मैं आशा करती हूँ कि आपको मेरा ब्लॉग पसंद आया होगा। आपका कोई सवाल हो तो मुझे comment section में अवश्य बताएं। 

इस विषय में और जानकारी एकत्रित कर मैं अपने ब्लॉग में शामिल करती रहूंगी। आपके पास भी कोई जानकारी हो तो अवश्य साझा करें।