मन में जागी है उत्सुकता कि शादी में मेहंदी क्यों लगाई जाती है ?
दूल्हा और दुल्हन को मेहंदी क्यों लगाई जाती है, इस प्रश्न का उत्तर लेकर आई हूँ मैं संस्कारी सुरभि। मेरे इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।
यह भी पढ़ें
| शादी में मेहँदी की रस्म में क्या होता है |
शादी में मेहंदी क्यों लगाई जाती है ? 7 तर्कपूर्ण कारण
मन में शंका है कि विवाह में दुल्हन को मेहंदी क्यों लगाई जाती है या फिर दूल्हे को मेहंदी क्यों लगाई जाती है ? आपके प्रश्नों का उत्तर इस ब्लॉग में है।
आइये जानते हैं विवाह संस्कार में मेहंदी लगाने का तर्क।
मेहंदी की ठंडी तासीर शादी के समय का तनाव कम करती है
क्या आप जानते हैं कि मेहंदी की तासीर बेहद ठंडी होती है? यही कारण है कि आयुर्वेद में इसे कहीं जलने का घाव हो जाए तो लेप की तरह प्रयोग किया जाता है।
विवाह के निर्णायक समय ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक है। इस तनाव से दूल्हा या दुल्हन को बुखार भी आ सकता है। मेहंदी की ठंडी तासीर शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होती है और तनाव कम करती है।
आयुर्वेद की मानें तो Antibacterial है मेहंदी
आयुर्वेद के अनुसार मेहंदी का पेस्ट एक एंटीबैक्टीरियल लेप है। कोरोना काल में हमने देखा कि कैसे ये जीवाणु हमें रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभावित करते हैं।
दूल्हा दुल्हन अपने नवजीवन की शुरुआत अर्थात विवाह समारोह में कितने लोगों के संपर्क में आते हैं और कितनी वस्तुओं को हाथ लगाते हैं। बस इन्हीं कारणों से भारत में शादी से पहले हल्दी की रस्म की जाती है और मेहंदी लगाने का भी यह एक मुख्य कारण है।
नारी के सोलह श्रृंगार में से एक है मेहंदी
सनातन धर्म में किसी भी सुहागन के लिए सोलह श्रृंगार बताये गए हैं। विवाह ही नहीं विवाह के बाद भी किसी धार्मिक अनुष्ठान में नारी के लिए सोलह श्रृंगार धारण करने का उल्लेख है।
मेहंदी उन्ही सोलह श्रृंगार में से एक है। ऐसा माना जाता है कि नारी के सोलह श्रृंगार परिवार की सुख समृद्धि और ऐश्वर्य के परिचायक हैं। इनका उल्लेख वेदों में भी पाया जाता है।
पुराने ज़माने के कठोर जीवन में छिपा है मेहंदी सजे हाथों का एक कारण
पुराने समय में जीवनचर्या काफी कठिन होती थी। चाहे पुरुष हो या नारी दोनों के ही कार्य शारीरिक बल प्रयोग वाले होते थे। इस कारण से हाथ का कटना या चोट का निशान होना एक आम बात थी। मेहनतकश लोगों के हाथ खुरदरे भी होते थे।
अब विवाह के दिन कौन अपने जीवनसाथी के खुरदरे हाथ देखना चाहेगा। हाथों को इसलिए मेहंदी से सजाया जाता था। आयुर्वेद में पढ़ेंगे तो जानेंगे कि मेहंदी एक औषधि है। यह सिर्फ़ हाथों का खुरदरापन ही नहीं छिपाती बल्कि उनको कोमल भी बनाती है।
मेहंदी की खुशबू मन को तरोताज़ा कर देती है
मेहंदी के पौधे को आप उसकी खुशबू सूंघ कर ही दूर से पहचान सकते हैं। इसकी पत्तियों में एक विशेष एवं आकर्षक खुशबू होती है। यह खुशबू मन को तरोताज़ा और हमारी इन्द्रियों को प्रफुल्लित कर देती है।
मेहंदी में अक्सर eucalyptus oil या फिर नींबू का रस भी मिलाया जाता है। यह तो सोने पर सुहागा का काम करता है। पुराने समय में इत्र लगाना आम बात नहीं थी। तब फूलों के गजरे और मेहंदी की खुशबू ही आम जीवन का इत्र थी। विवाह वाले दिन आखिर कौन नहीं महकना चाहेगा ?
वैवाहिक जीवन की सफलता का शुभ सूचक है मेहंदी को खिला रंग
ऐसी धारणा है कि मेहंदी का रंग जोड़े के आपसी प्रेम को दर्शाता है। मेहंदी लगाने के अगले दिन सबको यह उत्सुकता रहती है कि हिना का रंग कितना गाड़ा हुआ है।
जितना गहरा मेहंदी का रंग होगा उतना ही दाम्पत्य जीवन में प्रेम रहेगा। यह एक प्रतीकात्मक कारण है पर सनातन में विवाह संस्कार ऐसी बहुत सी धारणाओं को पिरोये हुए हैं।
शादी के पहले की ही नहीं बल्कि शादी के बाद की रस्म की नींव छुपी होती है मेहंदी में
मेहंदी से जुड़ी एक मस्ती भरी रस्म शादी के बाद भी होती है। विवाह के बाद दूल्हा दुल्हन को उनका निजी समय देने से पहले कुछ खेल खिलाने की परंपरा है। इन खेलों के निर्णय पर यह प्रतीकात्मक आकलन किया जाता है कि दाम्पत्य जीवन में किसका प्रभुत्व होगा।
इन खेल और रस्मों से दूल्हा दुल्हन सुहागरात से पहले ही एक दूसरे के साथ थोड़ा normal हो जाते हैं। इन्ही रस्मों में से एक है अपने पार्टनर की मेहंदी में छिपा अपना नाम खोजना।
यह थे शादी में मेहंदी लगाने के लाभ अथवा कारण। यूँ तो कारण अनेक हैं क्यूंकि मेहंदी एक आयुर्वेदिक औषधि है। औषधि के तो बहुत से लाभ हो सकते हैं। फिर भी अवसर विवाह का है तो इस ब्लॉग में प्रतीकात्मक कारणों को तवज्जो मिली है।
आपको अगर लगता है कि कोई कारण इस श्रेणी मुझसे छूट गया है तो comment कर अवश्य बताएं। उसे अपने ब्लॉग में सम्मिलित कर मुझे हर्ष होगा |

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!