क्या आप जानना चाहते हैं कि मेहंदी की रसम कैसे की जाती है ?
इसके जवाब में मैं संस्कारी सुरभि, लेकर आई हूँ यह ब्लॉग।
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मेहंदी की रसम कैसे की जाती है ? जानें Fun & Frolic मेहंदी। रस्म
घर में विवाह हो तो हर रस्म पूरे रीती रिवाज़ से करते का अलग ही मजा है। विवाह की चहल पहल इन्ही के ईदगिर्द घूमती है न!
आज जानते हैं मेहंदी की रस्म के बारे में और मेहंदी की रात निभाई जाने वाली पंजाबी रस्म जग्गो क्या है।
मेहंदी की रस्म कब निभाई जाती है
मेहंदी की रस्म विवाह के एक दिन पहले हल्दी रस्म के बाद होती है। लड़की की मेहंदी हल्दी के बाद लगनी शुरू होती है। लड़के की शादी में मेहंदी की रस्म शाम से शुरू होती है क्यूंकि लड़के की मेहंदी शगुन के लिए ही लगती है जबकि लड़की की मेहंदी में समय लगता है।
रस्म के लिए मेहंदी को कैसे तैयार किया जाता है
पारंपरिक रूप में रस्म से एक दिन पहले मेहंदी के सूखे पत्तों के पाउडर को मलमल के कपड़े में महीनता से छाना जाता है। उसके बाद इसमें नींबू और मेहंदी का तेल (Eucalyptus oil) मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर रखते हैं।
अगली सुबह मेहंदी को प्लास्टिक की पन्नी का cone बनाकर उसमें भरते हैं। इससे मेहंदी डिज़ाइन लगाया जाता है।
मेहंदी की रस्म कैसे निभाई जाती है
हल्दी-तेल की रस्म के बाद लड़की को मेहँदी लगती है। यह अक्सर दोपहर का समय होता है। लड़के को शगुन के तौर पर रात को मेहंदी लगाई जाती है।
कुछ जगह दुल्हन को दूल्हे के घर से आयी मेहंदी लगाने का रिवाज़ होता है। इस समय महिलाएं ढोलक पर मेहंदी के लोकगीत गाती हैं और डांस करती हैं। यह मस्ती माहौल से भरी रात है जो अपनों के साथ पलों को यादगार बनाती है। आजकल Dj culture बढ़ रहा है तो ढोलक की प्रथा धीरे धीरे कम हो रही है। घर पर ढोलक का बजाना शुभ होता है तो कोशिश करें कि ढोलक पर कुछ भजन व लोकगीत अवश्य गायें।
पंजाब प्रांत में मेहंदी की रात जग्गो रस्म भी निभाई जाती है। इसके बारे में हम विस्तार से आगे बात करते हैं।
दुल्हन की मेहंदी में क्या ख़ास बात है
दुल्हन की मेहँदी में क्या ख़ास है ? ख़ास है एहसास। दुल्हन की मेहँदी दोनों हाथों में भरकर कोहनी के ऊपर तक लगाई जाती है। इसका डिज़ाइन बेहद बारीक और सुंदर होता है। इसमें समय भी बहुत लगता है। पैरों में भी वैसे ही घुटनों तक मेहंदी लगती है।
दुल्हन की मेहँदी में दूल्हे का नाम छिपाकर लिखते है। शादी के बाद दूल्हे को एक रस्म के तौर पर छिपे अपने नाम को ढूंढना होता है। ये रस्म जीतनी हो तो अच्छे से छिपा कर दूल्हे का नाम लिखवाएं।
क्या दूल्हे को भी मेहंदी लगती है
बिलकुल! जहां दुल्हन को भर भरकर मेहंदी लगती है वहीं मेहंदी रस्म तो दूल्हे की भी है।
दूल्हे को शगुन के तौर पर चाहे एक हथेली पर गोला ही बनाएं पर मेहँदी ज़रूर लगाई जाती है। आखिर मेहंदी तो लगती ही शादी का तनाव मिटाने के लिए है फिर लड़का या लड़की का क्या भेद!
मेहंदी की रात निभाई जाने वाली जग्गो रस्म क्या है
पंजाब प्रांत में मेहंदी की रात जग्गो की रस्म निभाई जाती है। नाम ज़ाहिर है कि यह जागने और जगाने की रात है। आज के समय में आपको जानकार हैरानी होगी कि यह रस्म घरवालों से ज्यादा पड़ोसियों को जगाने के लिए होती थी।
प्राचीन स्वरुप में मेहंदी कि रस्म पूरी कर एवं खाना खाकर घरवाले निकलते हैं जग्गो की रस्म करने। सबसे पहले घर को दीयों से दिवाली की तरह सजाया जाता है। इसके बाद एक मिटटी के ढके घड़े पर जलता हुआ दिया रखते हैं। इसे दुल्हन की मामी या ममेरे भाई की पत्नी अर्थात भाभी अपने सर पर रखकर चलती है। साथ में मामा / भाई हाथ में डंडा लेकर चलता है जिसपर घुँघरू बंधे होते हैं। इस सब के साथ ढोल संग नाचते और गाते हुए निकलते हैं शादी के घर से सब लोग।
जग्गो रस्म में इतनी रात को सब निकलते कहाँ के लिए हैं?
जग्गो रस्म में सब निकलते हैं पड़ोसियों को अपने जश्न में शामिल करने और अपने साथ नचाने। दरअसल, पहले बरात दूर से आती थी तो रात में या जल्दी सुबह अँधेरे में किसी भी समय पहुँच सकती थी। उस वक़्त गाँव में अँधेरा न हो इसीलिए सभी पड़ोसी भी साथ में जागते थे और घरों के अंदर व् बाहर रौशनी रखते थे।
नवीन स्वरुप में यह रस्म banquet में निभाई जाती है और मटके पर दीये की जगह अब light वाले घड़े ने ले ली है। पड़ोसियों के घर जाकर उन्हें जगाया नहीं जाता बल्कि रात भर खुद ही जागा जाता है। जैसे भी हो रस्म तो यह मस्ती माहौल की है।
क्या मेहंदी की रस्म में शगुन दिया जाता है
जहां दुल्हन की मेहँदी लड़के के घर से आती है वहाँ मेहंदी संग लड़की को शगुन के तौर पर मिठाई फ़ल और dry fruits भी दिये जाते हैं। इसके अलावा मेहंदी के नाम का कोई शगुन नहीं दिया जाता है।
मेहंदी की रस्म कहाँ निभाई जाती है और इसमें कितना खर्चा होता है|
मेहंदी की रस्म एक परिवार की निजी रस्म है। यह निकट अपनों के साथ इतनी बड़ी ख़ुशी साझा करने का एक तरीका है। यह रस्म लड़का और लड़की के घर ही निभाई जाती है। इस लिहाज़ से इस रस्म में कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं होता है।
आजकल यह रस्म बड़े स्तर पर की जाने लगी है और सभी रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भी बुलाया जाता है। जाहिर है खर्चा भी ज्यादा होता है। घरों में क्यूंकि अब जगह कम होती जा रही है तो यह रस्म अब banquet या फार्महाउस में भी होती है। आजकल destination wedding का concept भी आम हो रहा है। वहाँ लड़का और लड़की की मेहँदी साथ ही destination पर होती है।
मेहंदी की रस्म में कैसे कपड़े पहने जाते हैं
मेहंदी रस्म परिवार की एक निजी रस्म है। इसमें कपड़े भी हल्के आरामदायक अथवा घर के ही पहने जाते हैं। आजकल यह रस्म banquet में या घर में भी धूमधाम से निभाई जाने लगी है तो इसमें कपड़ो की choice भी बदल चुकी है।
अब लड़किया मेहंदी की रस्म के लिए भी अलग से लहंगे या dresses बनवाती हैं। सब शादी की ही भाँती तैयार होते हैं। कपड़ों की choice इस बात पर निर्भर करती हैं कि रस्म किस तरह या किस स्तर पर की जा रही है।
यह थी मेहँदी की रस्म से सम्बंधित जानकारी। मुझे आशा है कि आपके मन में इस रस्म से सम्बंधित जो भी संशय था वो मिट गया होगा।
अगर मेहँदी रस्म के नियत कोई प्रश्न अनुत्तरित रह गया है तो मुझे comment section में अवश्य बताएं।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!