क्या आप दूसरों की टूटी सगाई को देखकर असमंजसता में हैं? क्या आप सगाई टूटने के कारण जानना चाहते हैं ?
अगर हाँ तो यह ब्लॉग आपके ही लिए है। हताश न हों बल्कि उनके कारण जानकर सबक लें।

यह भी पढ़ें
| सगाई के बाद फोन पर क्या बात करें |
जानना चाहते हैं सगाई टूटने के कारण| 16 विश्वव्यापी वजह
रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले जानना चाहते हैं, सगाई क्यों टूट जाती है ? यह जिज्ञासा सफल शादीशुदा जीवन का आधार है।
बिना समय व्यर्थ किए जानते हैं कि आखिर लोग अपनी सगाई क्यों तोड़ देते हैं ?
1.
सगाई के बाद उपहार में आती दहेज़ की मांग
दहेज़ सगाई से लेकर शादी तक के टूटने का सर्व विदित व प्राचीनतम कारण है। आजकल लडकियां financially independent होती हैं। अभिभावकों का खर्चा भी दोनों पर बराबर ही होता है।
लडकियां तो आगे बढ़ गई पर इस पिछड़ी हुई सोच के चलते बहुत सी सगाईयाँ शादी के मंडप तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। ऐसा तब ज्यादा होता है जब यह मांग सगाई के बाद आती है जिससे आदमी सामाजिक दबाव भी महसूस करता है।
2.
आय और संपत्ति का झूठा विवरण
शादी एक ऐसा रिश्ता है जिसकी बुनियाद विश्वास है। शादी तय करते समय सबसे निर्णायक चर्चा होती है दोनों पक्षों की financial stability।
अगर आय और संपत्ति के विषय में ही कोई पक्ष झूठ बोल देगा तो यह रिश्ता बेबुनियाद हो जायेगा। लड़के और लड़की पक्ष को चाहिए कि वो अपनी आय का सही विवरण दें अन्यथा यह सगाई आगे चलकर टूट सकती है।
3.
सगाई के बाद बोझिल करने वाली कोई भी मांग
अक्सर लोग सगाई तय कर लेते हैं उसके बाद धीरे धीरे अपनी मांगे सामने रखना शुरू करते हैं। यह मांग किसी भी पक्ष के द्वारा हो सकती है। सगाई तय करने से पहले ही सभी बात साफ़ और तर्कपूर्ण होनी चाहिए।
सब तय होने के बाद ऐसी demand रखना जिससे अन्य पक्ष पर किसी तरह का वित्तीय (financial), भावनात्मक या सामाजिक बोझ पड़े, वह सगाई टूटने का कारण बन सकता है।
4.
लड़का या लड़की के सन्दर्भ में कोई भी असत्य तथ्य
जो बातें सगाई तय करने में बाधक हो सकतीं है उन्हें लोग छुपा लेते हैं। सगाई के बाद शादी जीवन भर का साथ है। ऐसे में अनिवार्य हो जाता है कोई भी तथ्य छुपाया न जाए।
सगाई के बाद अगर ऐसी छिपी बात (जैसे उम्र, शैक्षिक योग्यता आदि) पता चलती है तब चाहे वह बात बड़ी न भी हो पर विश्वास सूत्र को तोड़ देती है।
5.
अभिभावकों के दबाव में की गयी सगाई
आज सामान्य सी बात है कि लड़का या लड़की किसी को पसंद कर उसे अपना जीवनसाथी बनाने के हितैषी व् वचनबद्ध हों।
अगर अभिभावक इस रिश्ते से संतुष्ट नहीं हैं तो अपने बच्चों पर अन्यत्र सगाई के लिए दबाव बनाते हैं। सगाई तो हो जाती है पर असमंजसता की मनस्थिति उसको ज्यादा दिन चलने नहीं देती।
6.
ससुराल पक्ष का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप
किसी भी रिश्ते में अन्य इंसान का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप उसे नुकसान पहुंचाता है। बात सगाई की है तो यहाँ दो लोग एक दूसरे को समझने और जानने की कोशिश कर रहे हैं।
इस आधी अधूरी विकसित होती समझ में अगर कोई अन्य हस्तक्षेप करेगा तो वह कुंठित ही होगी। यह हस्तक्षेप नए रिश्तों को पनपने नहीं देता और सगाई टूट भी जाती है।
7.
मोबाइल पर अत्यधिक चर्चा
यह नवीन युग का नव निर्मित कारण है। मोबाइल का ना के बराबर खर्चा भावी जीवन साथी को 24 घंटे एक दूसरे से जोड़े रखता है। विचारों का आदान प्रदान इतना हो जाता है कि सगाई से परिणय तक का समय जो मन मिलाने का समय है वह मतभेद पैदा कर देता है।
मतभेद शादी के बाद भी होते हैं पर शादी तोड़ना बहुत बड़ा कदम होता है। सगाई के बारे में लोग अलग सोच रखते हैं। माता पिता को भी लगता है कि जब पहले ही मतभेद हैं तो बाद में क्या होगा और सगाई टूट जाती है।
8.
अपने आप को अन्य पक्ष से बेहतर समझना
अपने वित्तीय रुतबे या फिर लड़के वाले होने के रौब के चलते अक्सर एक पक्ष को दूसरे पक्ष का कद छोटा नज़र आता है। खुद को superior समझने वाला पक्ष बात बात पर खुद को ऊंचा रख दूसरे पक्ष को जाने अनजाने में नीचा दिखाता चला जाता है।
कुछ समय तक नए रिश्ते के लिहाज़ में लोग चुप रह जाते हैं। एक समय के बाद अगर पीड़ित पक्ष का धैर्य टूट जाए तो सगाई भी वहीं टूट जाती है।
9.
सगाई के बाद की अनौपचारिक मुलाकातों में मंगेतर का आंकलन
सगाई से पहले परिवार एक दूसरे के बारे में मूलभूत जानकारी एकत्रित कर रिश्ता पक्का कर देते हैं। लड़का और लड़की औपचारिक मुलाक़ात में एक दूसरे की जीवनसाथी से क्या उमीदें हैं, यही जान कर हाँ कर देते हैं।
बाद की अनौपचारिक मुलाकातों में ही एक दूसरे के स्वभाव और आपसी सामंजस्य का पता चलता है। ऐसे में जहाँ बात नहीं बन पाती वहाँ मुलाकातों संग इस रिश्ते को भी पूर्णविराम देना पड़ता है।
10.
सगाई होते ही मंगेतर से समय की मांग
सगाई के बाद एक दूसरे को समझने और समझाने के लिए समय देना पड़ता है जबकि दिनचर्या और कार्यकलाप तो पहले जैसे ही होते हैं।
ऐसे में आपसी सहमति से मिलने और बात करने का समय निर्धारित करना चाहिए। अगर आप कभी वो समय अपने भावी जीवनसाथी को न दे पाये तो इसे एक जिम्मेदारी समझ कर उन्हें सूचित करें एवं समझाएं। जहाँ ऐसा नहीं किया जाता वहाँ रिश्ता जुड़ने से पहले ही दूरी आ जाती है।
11.
अगर पितृसत्ता पढ़ी लिखी लड़की की शादी में रोड़ा है तो Pseudo Feminism भी समस्या है
आजकल की लड़कियां पढ़ी लिखी हैं और स्वावलम्बी भी हैं। अपने जीवन की मूलभूत जरूरतों के लिए उन्हें जीवन साथी की जरूरत नहीं। यह एक भावनात्मक रिश्ता है उनके लिए
इसके विपरीत वित्तीय स्वावलंबन ने एक ओर नारी का उत्थान किया है वहीं कुछ लड़कियों को व्यवहारिक रूप से पतन की तरफ लाकर खड़ा कर दिया है। जहां बात उनके मन की न हो वहाँ वे नारी उत्पीड़न की पताका ले लेती हैं। ऐसी परिस्थिति में रिश्ते की गाड़ी पटरी पर कहाँ रह सकती है।
12.
सगाई में काम बिगाड़ने वाले रिश्तेदार
आपने शादी में मुंह फुलाए फूफा, मौसा या जीजा के बारे में तो सुना ही होगा। मजाक छोड़िये, कुछ रिश्तेदार सच में आपके बने बनाये काम बिगाड़ सकते हैं। इनको लगता है सब कुछ इनके हिसाब से होना चाहिए।
ऐसे रिश्तेदारों को खुश रखने के चक्कर में कई बार नए जुड़ रहे रिश्तों में खटास आ जाती है। ये रिश्तेदार अगर नाराज़ हो जाएँ तो आपकी विवेचना कर काम और भी अच्छे से बिगाड़ दें।
13.
मन मुताबिक़ दूसरे व्यक्ति को ढालने की हड़बड़ाहट
कोई भी दो व्यक्ति या दो परिवार एक से नहीं होते हैं। ज़ाहिर सी बात है की परिणय सूत्र बंध जाने के बाद दो लोग आपसी प्रेम के लिए दोनों के परिवारों को अपना लेते हैं और स्वयं को रिश्तों में ढाल लेते हैं।
ऐसे में अगर लड़का या लड़की दूसरे व्यक्ति को जल्दी से जल्दी अपने अनुरूप बदलने की कोशिश करें तो व्यक्ति तो नहीं बदल पाता अपितु रिश्ता ही खत्म हो जाता है।
14.
सगाई-शादी में ज्यादा Gap अर्थात courtship period बिगाड़ देता है काम
सगाई से शादी तक का समय किसी भी जोड़े का golden period कहलाता है। इस वक़्त एक दूसरे के प्रति अलग ही जज्बात होते हैं। एक दूसरे को जानने समझने की ललक होती है।
यही समय अगर जरूरत से ज्यादा लम्बा हो जाये तो मनमुटाव पैदा होने लगते हैं। इन मनमुटाव को मिटा कर बार बार एक दूसरे के साथ बांधे रखने के लिए सिर्फ एक अंगूठी ही होती है। यह अंगूठी कभी कभी नाकाफ़ी साबित होती है।
15.
Social Media पर चलती जिंदगी की reel
नवयुवक जब रास्ते से भटक रहे हों तो कहते हैं इनकी शादी का समय आ गया है इसके बाद वो जिम्मेदार हो जायेंगे। अधिकांश स्थिति में ऐसा होता भी है। अगर बेपरवाह जीवन की पूरी रील social media पर मौजूद हो?
एक दूसरे के व्यवहार को परखे बिना ही सोशल media पर लोग सबसे पहले profile search करते हैं। नए बन रहे रिश्ते को और रिश्तेदारों को judgement में लिखने के लिए जहां पूरी किताब मिल रही हो वो कितने दिन टिक पायेगा। ऐसी स्थिति में सोशल मीडिया सगाई तोड़ने का बढ़ता हुआ कारक बनता जा रहा है।
16.
दोनों पक्षों के बीच पारंपरिक एवं सांस्कृतिक विरोधाभास
परंपरा और संस्कृति का विरोधाभास कभी नहीं बदलता है। यह भी कह सकते हैं कि कोई इसे बदलने का ज्यादा प्रयास नहीं करता क्यूंकि परम्पराओं की जड़ें बहुत गहरी होती हैं।
इस विरोधाभास के चलते कभी कभी आपसी तालमेल बैठाना मुश्किल हो जाता है। यह तालमेल लड़का लड़की या दोनों परिवारों का भी हो सकते है। दोनों ही बातों में सगाई टूटने की कगार पर आ जाती है।
यह श्रृंखला तो अपने व्यक्तिगत अनुभवों के अनुसार कितनी भी लम्बी हो सकती है। अगर आपकी जानकारी में कोई वजह छूट गयी है तो मुझे comment section में अवश्य बताएं। मैं उसे ब्लॉग में जरूर सम्मिलित करूंगी।
आपसे इतना ज़रूर कहना चाहूंगी कि सगाई टूटना हमेशा नकारात्मकता से भरा नहीं होता है। कभी कभी दो बहुत अच्छे लोग भी अच्छी गृहस्थी नहीं चला सकते हैं। जरूरत अच्छे तालमेल की होती है।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!