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क्या आप अपने किसी ख़ास की सगाई पर उन्हें सगाई मुबारक शायरी dedicate करना चाहते हैं? 

अगर हाँ , तो मेरे इस ब्लॉग में खोजिये, मेरी कलम से निकली गुनगुनाती तो कुछ गुदगुदाती सगाई पर Short Poetry.   

सगाई मुबारक शायरी

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Photogenic बहन की सगाई पर Instagram Status 

1

कभी खींची तेरी चोटी, कभी कहा तुमको मोटी 

सोचा नहीं था हमको जुदा कर देगी एक अंगूठी। 

 

2

कभी लड़े ऐसे जैसे खींच लेंगे एक दूजे की बोटी,

आज देख श्रृंगार तेरा क्यों फिर मेरी अखियां रोती। 

 

3

जिस बहन की फरमाइशें, लड़ लड़ पापा से मनवाता हूँ 

उसी की विदाई होगी अब, कैसे खुद को समझाता हूँ। 

 

4

जलता था मैं  नासमझ बचपन से, माँ पापा की लाडली है तू 

अब जाना तेरी सगाई का गम ही प्यार बन बहता हर सूं।   

              

5

बचपन से मेरे और माँ के बीच तुमने आग लगाई है,

खुश हूँ मैं बहुत, आज तुम्हारी सगाई है। 😂🥳

 

6

पापा के गुस्से के आगे मेरी ढाल हो तुम, 

बीवी आगे जैसी भी बनो, बहन बेमिसाल हो तुम।   😂

 

7

मेरी हर भूल को दीदी माफ़ कर देना, 

विदाई जल्द आ जाएगी, दिल साफ़ कर लेना। 

 

8

आज श्रृंगार हुआ तेरा बहना, हुई दो दिलों की सगाई,

सभी तो खुश आते हैं नज़र, क्यों आँख मेरी भर आई। 

 

9

आज खुश बहुत हो बहन, है तुम्हारी सगाई  

तेरी ख़ुशी के आगे भूले हम ,हमसे तेरी विदाई। 

 

10

तू हमेशा कहती थी, दुनिया में सबसे Smart मेरा भाई,

आज फिर ज़रा जोर से कह दे, आखिर है तेरी सगाई।  😂😎

 

11

भविष्य के सपने सजा कर तुमने अंगूठी जीजू को पहनाई है  

बरसों का बचपन इस पल में जीकर, आँखें मेरी भर आई है। 

 

12

आज सगाई, कुछ दिन में शादी, फिर होगी विदाई,

होगा बहन बिन सूना आंगन, और अधूरा तेरा भाई।  

 

13

मैं खींचता था चोटी तू खिलाती थी रोटी! कब सोचा था,

बहन तेरी सगाई में आंखें मेरी भी नम होंगी।

 

14

सगाई भी होगी विदाई भी होगी, न चढ़ना सर पापा के  

रिश्ता वही है, लड़ाई भी होगी। 

 

15  

कोयल की कूक सी चहचहाती है, चुपके से जीवन रंग जाती है,

कब उठना है कब खाना है, बहन तू ही तो याद दिलाती है।  

 

16

रातों को हम जगते हैं और दिन में झगड़ते हैं 

पूछ लो दीदी जीजू से, उनको कैसे दिन जंचते हैं। 

 

17

खेलते हुए मैं गिरता था तो तू छोड़ आती थी Class,

क्या आगे भी दौड़ आएगी, जब दूंगा मैं आवाज़। 

 

18

कभी जख्मों पर नमक तो कभी दवा लगा देती है, 

जी उठता हूँ मैं! जब छुटकी एक बार मुस्कुरा देती है। 

 

19

चूनर ओढ़ प्यार की तू खूबसूरत बहुत लगती है 

मेरे दिल में आज भी दो चोटी वाली बहन बस्ती है। 

 

20

दूधों से बहुत मैंने चुराई है मलाई, 

नाचो सारे! मेरी बहन दी है सगाई। 

 

21

कोई भी खाए बिना यहाँ से बाहर नहीं जाएगा, 

पहनी है अंगूठी, अब जीजी संग जीजा ठुमका लगाएगा। 🙂

 

22

चाँद तो तुम थी ही आज बिंदी सितारे सी जड़वाई हो, 

मुबारक बहिनिया तुमको ये दिल की सगाई हो। 

 

       

भाई की सगाई पर Instagram Captions 

23

राम जैसा वीर, भाभी सीता सी हरषाई,

आज है मेरे प्यारे भाई की सगाई। 

 

24

लगन निकाला जाएगा, वो अंगूठी पहनायेगा 

बस कुछ दिन में भैया मेरा भाभी लेकर आएगा। 

 

25

चित्त प्रसन्न बहुत मेरा, भाई आज तेरी सगाई 

उतना ही मन भारी, आज भाभी संग नहीं आई। 

 

26

भाई ने अंगूठी पहनाकर विजय पताका लहराई

लड़की वालों लाड़ लड़ा लो, आज है बस सगाई।  🤗

 

27

भैया! अंगूठी पहनाते भाभी को समझा देना   

मायके में खूब वक़्त बिता लें, फिर नहीं जाने दूंगा। 

 

28

रघुनंदन लिये खड़े अंगूठी, माँ सीता हैं हर्षाती 

मैं लक्ष्मण हूँ तुम्हारा, पढ़ता अपने दिल की पाती। 

 

29

अंगूठी संग तार जुड़े दिल के, बंध गए भैया भाभी, 

दोनों को संग देख मन ही मन, मैं भी हूँ इठलाती।    

 

30

खूब मौज में बैठे थे रब, जब जोड़ी तुम्हारी बनाई, 

क्या सूझी माँ पापा तुमको जब तय करी ये सगाई 😅

 

31

श्याम सलौना भैया मेरा, करे राधिका से सगाई, 

नज़र हम पर भी रखना, कतार में है तुम्हारा भाई। 😀

 

32

भैया मेरे! भाभी संग रिश्ता अंगूठी सा रखना, 

ओर मिले ना छोर मिले, यूंहीं इक दूजे को तकना। 

 

33

चाँद देखे चकोर को, भाभी को देखे भैया 

अब पहना भी दो अंगूठी,और थाम लो अपना खिवैया। 

 

34

रिश्ते जुड़े दूर नक्षत्रों में, धरती पर हुई सगाई है 

हमारे जीवन के हर अधूरे सांचे में,आज भाभी समाई है।

 

35

घूंघट में एक परी मेरे भाई के ख़्वाबों में थी मुस्काती    

आज सगाई पर वो हमको भी, कितनी साफ़ नज़र है आती। 

 

36

वीर मेरा अल्बेला है ये लड़की बड़ी सलोनी है 

जल्दी पहना दो अंगूठी, ये जोड़ी मनमोहिनी है। 

 

37

बचपन में हम खेलते थे और तुम दौड़ते दौड़ते आगे निकल गए, 

उलझा के भैया हमको किताबों में, एक से दो हो गए। 😀

 

38

भैया तू सांझ सा सांवला, भाभी सुबह सी गोरी, 

बीच कौन दोपहरी में, मिली तुम दोनों की डोरी। 

 

39

बरसों पहले मांगी दुआ आज रंग लाई, 

प्रेम को मिला प्रेम, है भाई की सगाई।  

 

40

दोस्ती ननद और भाभी की होगी, तुम डालना बाहर चारपाई,

निहारना है जितना निहार लो, है आज तो बस सगाई।   

 

यारों की महफ़िल से दोस्त को सगाई की बधाई 

41

तुझसे लड़ना ,तुझ संग प्रीत,तू ही थी मेरी मनमीत

बचपन के वो सारे पल , याद आएंगे पल पल। 

 

42

आंखों में काजल तो तुमने कई बार लगाया है,

सगाई के श्रृंगार से तुम्हारा रूप संवर आया है।

 

43

मौज मौज में घूमते थे और आकाशवाणी दी सुनाई 

ख़त्म हुई आज़ादी की घड़ियाँ, कर दो इनकी सगाई।    😅

 

44

याद आएगी तुमको चाय की टपरी और दोस्तों से धुलाई,

मिलने के लिए अब लेनी होगी इजाजत, हुई तुम्हारी सगाई। 

 

45

दफ्तर के रास्तों के संग रसोई की गली भी गुज़रना,

रुतबा दफ्तर में कम नहीं भाभी का, भूखा न पड़ जाये मरना। 😂

 

46

खा लेना प्यार की कसमें, अंगूठी को गवाह बना लेना

पड़ेंगे बाद में भाभी के डंडे, तब दोस्तों को मत बुला लेना। 😅😂  

 

47

यार कहता है, सगाई से शादी का सफर बड़ा लम्बा है 

मैं कहता हूँ, कुतरने हैं पंख खुद के, वक़्त ये भी  कम है। 😅😅😅😅

 

48

कल तक जो दोस्तों की महफ़िल से उठने का नाम नहीं लेता था 

वो यारों के सामने, कभी सनम को तो कभी अंगूठी को देखता है।  

 

49

तेरी अलार्म घड़ी हूँ मैं, तेरे संग रोई और हंसी हूँ मैं 

फिर भी तेरी सगाई में सबसे अनजान खड़ी हूँ मैं। 

 

50

कहते थे यारों की महफ़िल में, हर ख़ुशी और गम है साझा अपना 

छोड़ दोस्तों को कुंवारा, ये सजा के बैठें हैं अंगूठी में नगिना।  🤨

 

51

दोस्त हो तुम हमारी, तुमपर पहला हक़ रहेगा अपना    

कह दो जीजू से, अंगूठी में लगा लें आज चाहे हीरा या पन्ना। 

 

52

एक अंगूठी से बाँधा है मेरे दोस्त ने दिल का रिश्ता 

मेरे रब! क़यामत तक इस जोड़ी को सलामत रखना। 

 

53

जम के नाचुँगा मैं और जम के खाऊंगा, 

मेरे दोस्त की सगाई है, DJ फना करके जाऊंगा !

 

54 

एक अंगूठी से रिश्ता क्या मेरे यार ने बनाया है ,

सगाई की उसने, दुलार भाभी का मैंने पाया है। 

 

55

यार तेरी सगाई पर दोस्तों ने सलाम भेजा है,

पढ़ के सुना दें क्या, पुरानी गर्लफ्रेंड ने पैगाम भेजा है। 😆 

 

56

चाय की चुस्कियों संग ख्वाब में शाम का नज़राना होगा,

हो गई सगाई दीवाने की, अब ये दोस्त बेगाना होगा।   

 

57 

यार बनेगा दूल्हा, बारात हम ले जाएंगे, 

सगाई पर तेरी आज ढोल हम बजाएंगे। 

 

58

भाभी के बाबा को बताने आये हैं, 

चुनरी सजाकर देवर लाये हैं  

यार है हमारा हीरा,

जौहरी को देने धन्यवाद आये हैं। 

 

59

बन्दर के गले में पड़ गया मोतियों का हार,

चल छोटू, ज़रा इनकी नज़र उतार। 

 

60 

दोस्त तेरी सगाई में नज़राना क्या दे दूँ,

सीता सी भाभी है, खुद को लक्ष्मण बना लूँ। 

  

बिटिया की सगाई पर पिता की छलकती बधाई 

61

बचपन की फरमाइशों पर जो बिटिया मुझसे थी लड़ती , 

आज सगाई के खर्चे पर आँहें भरती है वही लड़की। 

 

62

पिता का सपना पूरा कर, सगाई की अंगूठी पहनाई, 

धक् सा रह गया दिल, बिटिया! तुम हो गई आज ही पराई।    

 

63

सगाई की अंगूठी देख, पिता के कानों में बज उठी शहनाई ,  

दिल के वीराने में नन्ही बिटिया की किलकारी मुझपर मुस्काई। 

 

64

नहीं रईस तेरा पिता इतना, चाँद तारों का तुझे वादा दे दूं,

बस हर तेज दोपहरी वाले दिन, मेरा हाथ तेरे सिर पर होगा।  

 

65

जीवन की हर बारिश से पिता ने तुझको छत बनकर बचाया है,

एक अंगूठी के घेरे में कैद हो, आज बदला तेरा हमसाया है। 

 

66

बाबा ने बिटिया के बचपन से बचाई, अपनी गाढ़ी कमाई! 

धूमधाम से करेंगे आज सगाई। 

 

67

सितारों भरी चुनरी माँ ने तेरी कितनी बार सजाई, 

एक लाल चूनर से बिटिया, तू हो गई पराई। 

 

68

बेटा समझ पाला तुझको पर हार गया इन रस्मों से, 

आज सगाई में पराया कर बांधा तुझको किन कस्मों से। 

 

69

पिता तेरा सख्त बड़ा था, आँखों में मेरी क्रोध घना था, 

सगाई में आज जब तुम हुई पराई, 

छलकते मेघों को कैसे पढ़ा था ? 

 

70

संभाल लो अभी अपनी पलकों के उफान को, 

तेरे पिता की आँखों में सैलाब सिमटा है,  

 

71      

संभाल लेना दोनों की आँखों के बांध को, अभी सगाई है!

तेरे पिता को विदाई तक काम बड़ा है। 

 

72

चंद रस्मों की खातिर एक पिता मजबूर हो गया ,

नन्ही सी अपनी गुड़िया का हाथ किसी और को सौंप दिया।

 

73

एक शुभ तिलक से अपने परिवार में आपका स्वागत है किया,

मेरी बिटिया को मुझसे ज्यादा खुश रखने का वादा है लिया।

 

74

नन्ही सी परी, मेरी पलकों में थी पली,

बांध उंगली पर अंगूठी का बंधन नई दिशा में चली।

 

75

चार कदम चलकर जो गिर जाती थी बिटिया, 

कि बाबा कंधे पर बिठा लेंगे,

आज अपने कांधो पर ग्रहस्थी उठाने बढ़ी है।

 

76

बचपन से राजकुमारी बनाकर दुलारी जो परी,

एक रस्म से किसी के दिल की रानी है बनी।

 

77

सुबह की चाय से रात की दवा तक मुझे याद दिलाती हो,  

एक अंगूठी में बंधकर, पिता से पिया की बन जाती हो।   

 

78

जिसका ख्याल मैं रखता था, वो मेरी दवा याद कराती है 

सगाई है! जल्द विदा हो जाउंगी, एहसास ये बार बार जगाती है।  

 

79

पहनाकर अंगूठी तुमने बाबा का आँगन नहीं खोया,

एक हाथ थाम बाबुल का, पिया संग प्रेम बीज है बोया। 

 

80

मंच है ये प्रेम का जल्द पर्दा पीछे बदल जाएगा,

बाबा पर जमाती हो हक़ अपना, हर हक़ वो ले जाएगा। 

 

81

नमीं आँखों की मुस्कराहट में दबा लेना, 

आज चुनरी शगुन की ओढ़ी है, कल ख़ुशी से विदा लेना।   

 

बेटी को माँ की नसीहत और दुआओं के रंगों से भरी पाती 

82

माँ की आंखें और बेटी की गोद भर-आई,

कहता है रोम रोम, शुभ हो ये सगाई।

 

83

रोटी नहीं ठंडी खाती है कोई सब्जी नहीं इसको भाती है,

माँ की वही लाडली आज, पिया संग खड़ी शर्माती है।

 

84

किया मैंने तेरा श्रृंगार बहुत और चुनरी हज़ारों बनाई हैं

खिला रूप चाँद सा बिटिया का,जब सास ने चुनरी उढ़ाई है।

 

85

माना बिटिया तुम नाज़ों से पाली हो, 

याद रखना! आज जिम्मेदारी का पहला कदम बढ़ी हो। 

 

86

एक अंगूठी ने तुमको आज बनाया पराया,

मेरे ही आंगन में घूमेगा अनजान बन मेरा साया।

 

87

चुनरी उढ़ाई है बिटिया को, की आपने गोद भराई,

विनती है ये माँ की माँ से, करना ममता की भरपाई।

 

88

ना ओर है ना छोर है, जिसको अंगूठी समझ पहनाया,

वो माँ के आशीष की ही डोर है।

 

89

मन में प्रेम और स्नेह भर ,कर रही हो सगाई,

आज तुम बनने चली हो अपनी माँ की परछाई।

 

90

मेरे नीड़ में नैना खोले फिर छुआ तुमने आकाश,

ओढ़ प्रेम की लाल चुनरिया, नीड़ बनाने चली तुम आज।

 

91 

सगाई के मंच से प्रेम सेज़ तक, 

सफर अब तय जल्दी होगा,

तुम बिन जीवन एक एक दिन 

अब जीना कितना मुश्किल होगा।

 

92

लड़ती थी एक छुटकी सी बिटिया,

मुझसे हर दिन घड़ी घड़ी

ओढ़ी चुनर पिया के नाम की, 

हुई कब तुम इतनी बड़ी।

 

93

नसीहत तो ये माँ जीवन भर देती आई,

आज हैं बस आशीष, मेरी लाडो की है सगाई।

 

94

तुझको जीवन दिया मैंने और बन गई तुम मेरा जीवन,

होगी अब जल्दी विदा तुम,कैसे लगेगा मेरा मन।

 

95

नन्ही चिड़िया आई थी आंगन ,मिट्टी ने सोखी उसकी छाप,

प्रेम के बंधन में बंधकर ढूंढा उसने अपना आकाश।

 

96

नौ महीने खुद में रखकर मैंने तुमको पाला है,

एक अंगूठी से हुई पराई,ये दस्तूर निराला है।

 

97

मंडराती नहीं थी रसोई के दायरे में जल्द अन्नपूर्णा बन जाएगी,

पहन कर एक अंगूठी प्रेम की कितने नए किरदार निभाएगी। 

 

98

चाची बनोगी देवरानी बनोगी, मामी कहीं तो कहीं भाभी बनोगी,

सगाई में पिया की एक अंगूठी से कितनी सारी डोर में बँधोगी 

 

99

गंगा बन आज बह चली हो, सागर से मिलने मचली हो 

पर्वत भी रोकेगा कैसे, प्रेम डगर जब तुम बढ़ चली हो।  

 

100

एक गुल्लक मैंने नसीहतों की जोड़ी, तेरी सगाई पर जो तोड़ी 

सिक्के उसमे रखे ही रह गए, एक छल्ले ने तेरी दिशा खुद है मोड़ी।     

 

101

धरती आकाश मिलते नहीं है फिर भी क्षितिज हर जगह रहता है,

मतभेद हो जाये कभी रिश्ते में तब भी प्रेम ही अंदर बहता है।     

 

102

छोटी सी मेरी गुड़िया को गुड्डा है मिला, 

बचपन का खेल तेरा आज सच हो गया।    

   

काँधे बराबर हुआ है बेटा, पिता ने भेजी सगाई की बधाई कविता 

 

103

कल तक मैं जिसको जूते के फीते बांधना था सिखाता,

आज वो मुझे अपनी सगाई के लिए है सजाता। 

 

104

नर वही जो बने पूरक नारी का,

और बेटा वही जो रखे मान ये पिता का।

 

105

मेरे जूते से अपना पैर मत नापना, तेरी माँ पीछे चली थी,

तुम हमारी लक्ष्मी को सदा आगे ही रखना। 

 

106

जीवन की हर अधूरी ख्वाहिशों के चलते घर छोड़ जाया करते थे,

अब जिस छल्ले में बंधे हो उसके बाहर ज़मीन नहीं है।

 

107

इलाज करते हो दुनिया का तुम्हारे दिल का कौन करेगा,

सगाई से शादी तक अब आँहें मेरा बेटा भरेगा। 😅

 

108

जल्द होगी मेरे पाले में मेरी बहु,

बढ़ेगा मेरा लहू और आहें भरेगा तू। 😅😂😅😂 

 

109

तूने बेटा बहुत मेरी बीवी को उकसाया है, 

छिपी हुई cigarette का पता बताया है, 

अब तेरे बाप का वक़्त आया है।  😅😂😅😂

 

110

मैं छत हूँ इस घर की, ओलो के थपेड़े सह लूँगा

तुम संग स्तम्भ बनकर बस इसे मजबूत बनाये रखना। 

 

111

भर कितने रंग के सपने अँखियों में, वो अंगूठी पहनाएगी 

उम्मीद है बेटा अंखियाँ तेरी, आज सभी पढ़ जाएंगी।  

 

112

बाप बने मुझे बरसों हो गए ससुर बना हूँ पहली बार 

शिकायत गर बहू से आई, 

तो सज़ा आज नकद और कल उधार  😅

 

113

उढ़ाई है माँ ने तेरे नाम की चुनरी, अब इसको अंगूठी पहना लेना 

और भगवान् के लिए, अपनी माँ का दामन मेरे लिए छोड़ देना।  😅😂    

 

114

बरसों से अपनी माँ के आँचल संग तू बनकर घूमा है साया,

हुई महर मुझपर रब की, तेरे जीवन में एक और आँचल है आया।  😅😂😅😂

 

115

बाप हूँ अक्सर कह नहीं पाता हूँ, 

बेटा चढ़ेगा घोड़ी, सोच मैं भी इठलाता हूँ।  

 

 116

जीवन में तेरे वो राज़दार होगी, 

फिर भी तेरे समय की मुझे दरकार होगी।   

 

117

दिल का रिश्ता तो बेटा तूने अंगूठी से जोड़ लिया 

अब जीवन भर इस रिश्ते को सम्मान संग रखना खड़ा।  

 

118

पटाखे मेरे आँगन में तो गुलाल उसकी छत पर उड़ा लेना 

वो संभालेगी दोनों परिवारों को, डोर तू भी थाम लेना। 

 

119

मेरे जूते में पैर डाल अपना कद नापते थे!  

बढ़ाकर आज कदम ग्रहस्थ में,

जल्द मेरी झुर्रियों की गहराई भांप लोगे।   

 

120

गिरे कभी तो न मैंने उठाया, 

रुकना नहीं बस चलना था सिखाया

अब घेरे में अंगूठी के खुद को बांध लेना, 

संदेश यही एक पिता है लाया।      

 

121

पवन की तरह बहते हो, बादल से उड़ते रहते हो 

वक़्त है अब ठहर जाना, अपनी नदी से तुम जा मिले हो।     

 

122

कंधे पर बिताया है बचपन अब कंधे से मिलाते हो कन्धा,

आज हो रही सगाई बेटे तेरी, इतना बड़ा कब हुआ ये बंदा ?   

 

123

पिता हूँ मैं बोलता नहीं हूँ, माँ जैसे आंसुओं में जताता नहीं हूँ, 

खुश हूँ बहुत जीवन की नयी शुरुआत पर, भले ही कह पाता नहीं हूँ।      

 

माँ के लाडले की हुई सगाई, दिल की पाती में नसीहत छुपा लाई   

 

124 

रोटियाँ गोल तुमको माँ ने बहुत खिलाई हैं, 

अब ना उनका आकार ताकना,

इस प्रण का पर्यायवाची सगाई है, 

अपने प्रेम की बस गहराई को मापना।

 

125 

पाया मैंने बेटा जब चाही थी बिटिया,

लाएगा वो लक्ष्मी, जल्द होगी धन्य मेरी कुटिया

 

126

चाह नहीं हो सेवा! हुई धन्य कौशल्या भये जब राम,

मान रखा ज्यों तूने माँ का, करना मेरी सिया का सम्मान। 

 

127

तुम्हारे पालन पोषण में मैंने दिया पंखों को विश्राम,

अपनी संगिनी को उड़ने देना, नीड़ को यहां लेना थाम। 

 

128

माँ बाबा का छोड़ कर आँगन, वो संग तेरे आएगी 

तेरे कांधों पर मेरे संस्कारों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। 

 

129

हाथ बढ़ाना, ना आवाज़ उठाना, सिर्फ प्रेम से है तुमको अपनाना 

इसी प्रेम और संयम से तुमको है अपना नीड़ सजाना। 

 

130

हाथों से अपने उड़ाउँ लाल चुनरी, रूठे कभी तो उसको मनाऊं,

मेरे अंश का वो अर्ध अंग बनेगी , हे ईश! कभी न ये भुलाऊं। 

 

131

तेरी अँखियों में बसा के बेटा, उसकी छवि ले जाउंगी 

जब तक ना आए मोरे आंगन, अब कैसे रह पाउंगी। 

 

132

पहनाकर अंगूठी तुमने बांधा है बंधन, 

इस रिश्ते की खातिर करना हर आत्ममंथन। 

 

133

आज श्रृंगार किया है, जल्द पहना कर लाऊंगी पायल      

बना के उनको बेड़िया, न होने देना कदम घायल। 

 

134

अपने सपने तेरी अंखियों में रख, वो आज तुमसे होगी विदा

उसके आने तक मोरे आँगन, दीवारो-दर देना उनसे सजा। 

 

135

शादी करके लाएगा तू मेरे घर में एक परी 

तेरे दिल की वो रानी होगी, पर हुक्म चलाऊंगी मैं ही।   😅😂😅😂         

 

136

माँ हूँ तेरी मना लेती हूँ, वो साथी है लड़ जाएगी, 

रूठो दोनों तो ये न सोचना, वो ही सदा मनाएगी। 

 

137

चुनरी लाल उढ़ाउंगी और श्रृंगार भरपूर कराउंगी 

तेरे सपनों की रानी से अंगूठी आज पहनवाउंगी। 

 

कल की मेरी उलझन तेरी आँखों में दी दिखाई, सास की बहू को सगाई की बधाई 

 

138 

गंगा सी तू पावन! आज मेरे सागर से मिली है,

इस धरती की हर तपिश मिट चली है। 

 

139

जानती हूँ! कितनी उलझन छुपाये बैठी हो आँखों की नमी में , 

ऊँगली में प्रेम की अंगूठी और आधा मन है बाबा के आँगन में। 

 

140

संग भी चल सकते हैं! जरुरी तो नहीं, मिले पिया तो बाबुल रूठे ,

क्यों नए रिश्ते के लिए पुराने बंधन छूटे ?

 

141

सास हूँ मैं सास बनकर रहूंगी, कैसे तेरी माँ की जगह लूंगी,

तुम बनकर मेरे बेटे की संगिनी चलना, बाकी मैं संभाल लूंगी। 

 

142

रसोई में खाना मैं साथ बना लूंगी, खाते समय तुम साथ आ जाना,

डाटूंगी तुमको तो मना भी लूंगी, मैं रूठ जाऊं तो तुम मनाना। 

 

143

पावन ये रिश्ता सास बहू का, है बहुत बदनाम,

आदर, प्रेम और संयम से लेंगे डोरी थाम।    

 

144

नए परिवेश में खुद को न कभी अकेला पाओगी, 

अपने दिल की पाती को, क्या मुझसे बतलाओगी?  

 

145

थाम डोर तू प्रेम की , मैं शीश धरूँ आशीष 

डगर जहां लगे टेढ़ी, कृपा करेंगे ईश। 

 

146

कल यूँ ही मैं आई थी, आज तुम कदम बड़ा रही हो 

समझती हूँ दर्द मैं भी वो, जो तुम हंसी में छिपा रही हो। 

 

147

मेरे ख़्वाबों में बस्ती थी अपने आँगन की एक कली 

पाँव धरूँ धरती पे कैसे, वो तेरी छवि से जाय मिली  

 

सौंप परछाई अपने संस्कारों की, सास ने दी दामाद को बधाई सगाई की  

 

148

गुड्डे गुड़ियों का खेल खेलते मेरी गुड़िया हुई बड़ी, 

बाँध प्रेम का पावन बंधन, संग आपकी राह चली। 

 

149

बेटी आपको सौंप कर, मैं तो गंगा नहा लूँगी

पास नहीं पर खुश होगी वो, ये सोच दिल बहला लूंगी। 

 

150

बेटी को मैंने नाज़ों से नहीं पाला, 

जीवन के थपेड़ो से लड़ना बताया है, 

रसोई में मिलकर संभाल लेना, 

रोटी कमाना और बनाना दोनों सिखाया है।  

 

151

मेरी परछाई ले जा रहे हो!

संस्कारों में कहीं कमी न मिलेगी,

न हो सर पे चुनरी या पैरों में बिछिया, 

मुसीबत में साथ खड़ी वो रहेगी। 

 

152

बेटा! मैंने संस्कार दिए हैं, करेगी वो सबका सम्मान, 

पर गलत बात पे चुप रह जाना बनाता नहीं कभी महान। 

 

153

इज्जत और प्यार का रस्ता दो तरफ़ा है, 

सगाई का सही मतलब इसी बात में बसा है। 

 

154

गठरी-पूंजी प्रेम की, दी है तुम्हे थमाय,

अपना लो इसे प्रेम से, जीवन सफल हुई जाय। 

 

155

बाबा की है लाड़ली, भाई की जान समाय, 

मैं तो रो दूँ आँख से, पीड़ा उनकी कही न जाय। 

 

156

पिया बावरी हुई लाड़ली बोली कर दो मोरि सगाई,    

खुश हूँ देख प्रेम अंगूठी, जाने क्यों अंखिया छल्काई।  

 

157 

प्रतिज्ञा त्याग की स्नेह अंगूठी, नहीं फूल की सेज गृहस्थी,

आंधी आये या तूफ़ान, थामे रखेगी शपथ प्रेम की।      

         

आशा करती हूँ मेरे सगाई के बधाई पैगाम आपके भाव को मेरे शब्दों में एक साथ पिरो पाए होंगे। किसको न चाहिए होंगी सगाई के लिए Short शायरी!  

अगर मेरे सगाई के लिए Status आपके उन ख़ास पलों का हिस्सा बन पाएं हों तो मुझसे अपने उन पलों की झलकियां जरूर साझा करें। सगाई पर 2 lines की शायरी हो गई तैयार अब शादी की रस्में भी समझ लें आप 🙂।