बात जब मंगनी की हो तो सगाई की अंगूठी से जुड़े प्रश्नों का मस्तिष्क को घेर लेना स्वाभाविक है।
आपके ऐसे ही सवालों पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगा मेरा यह ब्लॉग।
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सगाई की अंगूठी से जुड़े उलझनों भरे सवाल और उनका सरल जवाब
सगाई के पावन अवसर पर विचारणीय है कि अंगूठी से जुड़े नियम और तर्क क्या हैं?
आज मैं अपने अनुभव से, सगाई की अंगूठी से जुड़े आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करुँगी।
सगाई की अंगूठी क्यों पहनाते हैं तथा इसकी शुरुआत कहाँ से हुई?
ऐसा कहा जाता है इसकी शुरुआत कहीं रोम या ग्रीस में हुई थी। इसके बाद इसको यूरोपीय देशों की शादियों में शामिल किया गया।
भारतीय विवाह में अंगूठी पहनाना रिश्ते के प्रारम्भ के तौर पर देखा जाता है। Symbolically यह पारिवारिक शपथ का आदान प्रदान है कि अब लड़का, लड़की और दोनों परिवार एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करेंगे।
इन सबके ऊपर सगाई की अंगूठी को भारत की प्राचीन योगविद्या से जोड़ा जाए तो इसको पहनाने का कारण और भी साफ़ हो जाता है।
सगाई की अंगूठी कैसी होनी चाहिए?
पारम्परिक तौर पर स्वर्ण को विवाह में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। भारत में अब हीरे और प्लैटिनम का चलन बढ़ रहा है। लोग स्वर्ण (Gold) या Platinum में हीरा लगी अंगूठी का चयन कर रहे हैं।
सगाई की अंगूठी की सबसे ख़ास बात है की इसे लोग हमेशा पहनना पसंद करते हैं। अंगूठी का चयन इस बात को ध्यान में रखकर करना चाहिए। अंगूठी खूबसूरत के साथ ही मजबूत और आरामदेह होनी चाहिए। वह रोज के काम में इधर उधर न अटके।
अगर कोई इंसान स्वर्ण अंगूठी की सामर्थ्य नहीं रखता है तो स्वर्ण के बाद नंबर आता है चांदी का और उसके बाद तांबे का। इन तीनों धातुओं को धार्मिक कार्य में शुभ माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इसको धारण करने से अनेक लाभ हमारे शरीर को भी मिलते हैं।
सगाई की अंगूठी खरीदते समय किन चीज़ो का ध्यान रखना चाहिए?
सगाई की अंगूठी का नाप (size) कैसे पहचानें?
क्या आप बिना दिखाए सगाई की अंगूठी surprise देना चाहते हैं? Jewellers के पास अंगूठी के नाप के rings होते हैं जिनका एक Standard Size होता है। आप दूसरे पक्ष से वह नाप पता कर लें।
उन्हें कहें कि माप का नंबर बताने से पहले ज्वैलर से परामर्श जरूर लें। अंगूठी पहली बार ऊँगली में डालने पर थोड़ा फंसती है। बाद में अंदर जाकर अपनी जगह बनाती है। अगर आप ऐसे माप का चयन करेंगे जो आपको पहली बार में बहुत ही आसानी से अंदर आ जाए तो वो आगे जाकर ढीली भी हो सकती है।
Jewellers के अनुभव का लाभ उठाएं और सही जानकारी पाएं 🙂।
सगाई की अंगूठी खरीदते समय शुद्धता कैसे सुनिश्चित करें?
कोई भी आभूषण लेते समय उसकी शुद्धता सुनिश्चित करें। मैं आपसे शुद्धता निर्धारित करने वाले कुछ आसान मापदंड साझा कर रही हूँ।
GOLD
मापदंड विवरण | |
BIS निशान | BIS स्वर्ण hallmarking certify करने वाली भारतीय सरकारी संस्था है। |
Karat Mark | Karat mark धातु में शुद्ध सोने का अनुपात बताता है |
Hallmarking Agency ID | यह jeweller का BIS में पंजीकृत ID नंबर है |
Jewellery Unique ID | यह hallmarked ज्वेलरी की पहचान संख्या है |
PLATINUM
मापदंड विवरण | |
PLAT950 Mark | यह निशान दर्शाता है की 95% शुद्ध प्लैटिनम से अंगूठी बनी है। अंगूठी पर यह निशान अवश्य जांच लें |
PGI Purity Certificate | यह certificate प्लैटिनम की hallmarking को प्रमाणित करता है।
यह certificate लेते हुए आपको अत्यंत सतर्कता बरतनी है क्योंकि PGI एक गैर सरकारी और गैर भारतीय संस्था है। |
Diamond व अन्य रत्न
मापदंड विवरण | |
Gemological Laboratory certificate | भारत में कोई सरकारी संस्था diamond या अन्य रत्नों की शुद्धता प्रमाणित नहीं करती हैं।
Authentic lab से certified रत्न ही खरीदें। |
चाँदी की Hallmarking BIS के नियमों के अंतर्गत ही होती है। जब भी अंगूठी लें ऊपर दिए certifications ज़रूर जांच लें। Jeweller का BIS certificate BIS की website पर जांच लें कि वह वैध है भी या नहीं।
ध्यान रखने योग्य बातें
सोना और चांदी के शुद्धता परिचायक नियमों का संचालन एक भारतीय सरकारी संस्थान के द्वारा किया जाता है। आप ऊपर दी बातों को ध्यान में रखें तो आप किसी भी धोखे से बच सकते हैं।
प्लैटिनम एक महंगा धातु है। इसकी चमक और मजबूती के कारण ही यह गहने बनाने में प्रचलित हो चला है। इसकी hallmarking भारतीय सरकार संचालित नहीं करती है। PGI एक गैर सरकारी और गैर भारतीय संस्था है जिसकी एक भारतीय company प्लैटिनम की हॉलमार्किंग को नियंत्रित करती है।
कहीं आप सगाई की अंगूठी का Invoice / Bill लेना तो नहीं भूल गए?
आप अंगूठी हीरे की लें या अन्य रत्न की, सोने, चांदी की लें या प्लैटिनम की मगर विक्रेता का GST Bill लेना बिलकुल न भूलें। बात करते हैं bill में किन बातों का ध्यान रखना है।
Bill पर खरीदी हुई ज्वेलरी (यहां अंगूठी) का विवरण हो, धातु और उसका वजन तथा शुद्धता विवरण स्पष्ट लिखा हो। |
गोल्ड की अंगूठी है तो Bill पर खरीदी गयी दिनांक का ही गोल्ड रेट अंकित हो। |
Invoice / BIll पर Hallmarking और GST charges लिखे हों। |
हीरा या अन्य रत्न अंगूठी में जड़ा है तो उसका वजन और कीमत अलग से लिखी हो। |
अन्य invoice की भांति उसपर Date, Invoice Number, विक्रेता की वैध stamp और लाइसेंस नंबर अंकित हो। |
Invoice के अलावा प्लेटिनम और हीरे व रत्नों के लिए एक मान्य laboratory का purity certificate लेना न भूलें।
सगाई की अंगूठी कब पहनाई जाती है?
सगाई की अंगूठी तो आपने खरीद ली अब सवाल उठता है कि अंगूठी पहनानी कब है?
सगाई के दिन सबसे पहले पूर्ण विधि और मंत्रोच्चारण के साथ लड़के का तिलक होता है जिसके बाद शगुन दिया है। तत्पश्चात कन्या का श्रृंगार और गोद भराई की रस्म पूरी होती है और कन्या को शगुन दिया जाता है। भारतीय पारम्परिक विवाह में सगाई की ये अभिन्न रस्में पूरी करने के बाद ही अंगूठी पहनाने की रस्म निभाई जाती है।
सगाई की अंगूठी कौन से हाथ की किस ऊँगली में पहनाई जाती है और क्यों?
सगाई की अंगूठी उल्टे हाथ की तीसरी ऊँगली जिसे हम अनामिका या अंग्रेजी में ring finger कहते हैं, उसमें पहनाई जाती है। उल्टा हाथ पढ़ इसे अशुभ न मान लें। हमारे शास्त्रों में दोनों हाथों का महत्व बताया गया है।
इस ऊँगली में अंगूठी पहनाने का यूरोपीय तर्क? रोम में माना गया है कि उल्टे हाथ की तीसरी ऊँगली की एक नस सीधे हृदय तक जाती है। परन्तु इस बात की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं मिलती है।
बाएं हाथ की अनामिका में सगाई की अंगूठी पहनने का भारतीय तर्क क्या है ?
Acupressure में शरीर के बहुत से pressure points बताए गए हैं जिनसे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। योग विद्या में भी पृथ्वी मुद्रा का जिक्र है जिसमें जलतत्व लिए अनामिका उंगली पर अंगूठे से दबाव डाला जाता है। ऐसा करने से जीवन के प्रति नव चेतना जाग्रत होती है एवं परम शान्ति का एहसास होता है।
इसी दबाव को सगाई की अंगूठी से भी अर्जित किया जाता है क्यूंकि जीवन के नवीन सफर में नवीन चेतना की आवश्यकता होगी। यहां अशांति का स्थान कहाँ।
सगाई की अंगूठी से जुड़े कुछ अन्य प्रश्न
(1.)
घर ले बड़े लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि सगाई की अंगूठी स्वर्ण की होनी चाहिए?
वेदों और उपवेदों में स्वर्ण का बेहद महत्व बताया गया है। इसलिए सगाई की अंगूठी स्वर्ण की होनी चाहिए। स्वर्ण हमारी आंतरिक चेतना को जागृत करता है, प्रबल इच्छाशक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
यह लक्ष्मी का परिचायक है और ऐश्वर्य को दर्शाता है। तभी भारतीय विवाह में स्वर्ण आभूषण ही स्त्री धन में कन्या एवं वधु को दिए जाते हैं।
(२)
अगर किसी ज्वैलर पर विश्वास ना हो तो कैसे जाने कि उसने जो certificates दिखाए हैं वो सही हैं?
BIS की वेबसाइट पर सोने और चांदी दोनों के certified ज्वेलर्स की लिस्ट जारी की जाती है। आप ज्वैलर द्वारा दिखाया गया certificate नंबर वेबसाइट से जांच सकते हैं।
(3 )
शुद्ध गोल्ड, प्लैटिनम या चांदी के गहने क्यों नहीं बनते हैं?
100% सोना, चांदी, या प्लैटिनम में इतनी मजबूती नहीं होती कि उनके गहने बनाकर उनमे नक्काशी की जा सके या रत्न जड़ें जा सकें। इन धातुओं की अपनी ठोसता को ध्यान में रख मजबूती देने के लिए उनमे अन्य धातु मिलाकर alloy तैयार किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर सोना 24 karat में शुद्ध होता है पर गहने 22 karat में बनते हैं वहीं प्लैटिनम १००%अगर शुद्ध है तो गहने 95% शुद्धता पर बनते हैं।
मैं आशा करती हूँ कि सगाई की अंगूठी से जुड़े इस ब्लॉग में आपके सभी प्रश्न शांत हुए होंगे। आप अपने अनुत्तरित प्रश्नों को मुझसे जरूर साझा करें ताकि मैं उनको अपने ब्लॉग में सम्मिलित कर सकूं।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!