क्या आपको शादी के मंडप का महत्व जानने की उत्सुकता हुई है? ज़रूर आपकी या घर में किसी की शादी है!
आज मैं, संस्कारी सुरभि आपको शादी के मंडप का महत्व बताने आई हूँ।

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विवाह की निभानी हैं कसमें तो शादी के मंडप का महत्व जानें
विवाह में सबसे अहम रस्म सात फेरे शादी के मंडप में लिए जाते हैं। समझते हैं आज मंडप का महत्व।
मंडप! जिसका उल्लेख सनातन धर्म के सोलह संस्कार में से एक विवाह संस्कार विधि में किया गया है।
मंडप घर के आँगन का वह पवित्र कोना है जो घर में मंदिर के जैसा है
मंडप की स्थापना घर के आँगन में विवाह संस्कार विधि के अनुसार होती है। स्तम्भ पूजन रस्म में देवताओं का आह्वान कर उनसे मंडप में निवास करने का आग्रह किया जाता है।
देवताओं के निवास से घर का वह कोना मंदिर के जैसा हो जाता है। इसी पवित्र स्थान पर विवाह की मुख्य रस्में निभाई जाती हैं।
मंडप के स्तंभों में सोलह देवता बनते हैं देव विवाह के साक्ष्य
संस्कार विधि से निर्मित मंडप के सोलह स्तम्भ में सोलह देवताओं का निवास होता है। लड़की के माता पिता पुरोहित संग मंत्रोच्चारण कर देवताओं को विधिपूर्वक मंडप में स्थान देते हैं।
ब्रह्म विवाह में कोई अदालत नहीं होती बल्कि देवता ही विवाह के साक्ष्य होते हैं। यद्यपि अब भारत में भी विवाह का पंजीकरण अनिवार्य है। इससे स्वयं देवताओं को विवाह का साक्षी रखने की महिमा कम नहीं हो जाती है।
मंडप में बनी पवित्र वेदी के चारों ओर दूल्हा दुल्हन फेरे लेते हैं
मंडप में होती है पवित्र वेदी जिसे गाय के गोबर से लीपा जाता है। वेदी के हवन कुंड में हैं प्रत्यक्ष अग्निदेव जिन्हे साक्षी मानकर दूल्हा और दुल्हन फेरे लेते हैं।
सात फेरों के बिना हिन्दू वैदिक विवाह संपन्न नहीं होता है।
बांस का मंडप देता है गृहस्थ में ऊँचे उठकर भी विनम्र रहने की सीख
शास्त्रों में बांस को मंडप के लिए बेहद शुभ बताया गया है। बांस ऊँचा बढ़ता है पर टूटता नहीं है बल्कि झुक जाता है।
यह कन्या एवं वर को रिश्ते में सदैव ऊंचा उठने की सीख देता है पर आदर में झुकने की क्षमता को बनाये रखना भी सिखाता है।
कुशा की पवित्र छत मंडप को शुद्ध, पवित्र और सकारात्मक बनाती है
मंडप की छत कुशा की बनी होती है जिसमें भगवान विष्णु का अंश कहा जाता है। कुशा वैज्ञानिक रूप से मान्य purification agent है। यह हवा में होने वाले Bacterial action को रोकने में समर्थ है।
मंडप तो पुरखों और देवताओं के वास से पवित्र था ही साथ ही कुशा की छत से वहाँ की हवा और वातावरण और शुद्ध होता है। इस कारण यह मंडप की रस्मों में एक सकारात्मक और शुद्ध प्रभाव का संचार करती है।
मंडप में रखी गृहस्थ की वस्तुएं देती है सफल गृहस्थ के मूल मंत्र
विवाह मंडप में रखे होते हैं सिल का बाट, दाल दलने वाली चक्की , मसाले कूटने वाली ओखली और मूसल। ये सब वस्तुएं भले ही आज प्राचीन लगती हों पर ये वर और कन्या को गृहस्थ के कभी न पुराने होने वाले सबक देते हैं।
बाट को लड़का अपने पैर से लड़की के सामने से हटाता है। यह संकेत है कि इसी तरह जीवनभर वो हर बाधा का सामना पहले करेगा। चक्की के पाट एक छोटी सी लकड़ी से जुड़े होते हैं। यह वर और कन्या को बस विश्वास की छोटी सी डंडी से जुड़े रहने पर कड़ी से कड़ी विपदा को भी निपटाने का निर्देश देते हैं।
मात्र चार स्तम्भ का दिखने वाला सरल सा मंडप अपने अंदर पूरा सनातन विज्ञान और नवविवाहित के लिए सीख का भंडार समेटे हुए है। विवाह संस्कार के निर्देशों को माने तो सभी देवताओं के समक्ष उनके और पूर्वजों के आशीष से संपन्न होता है ब्रह्म विवाह।
बिना विधि जाने बना मंडप मात्र सजावट की हुई जगह है मंडप नहीं। मेरे ब्लॉग को पढ़कर आपको कैसा लगा मुझे अवश्य बताइयेगा।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!