अक्सर दुविधा होती हैं कि रोका ceremony और सगाई में क्या फर्क है ? बहुत से लोग रस्मों को उलझा देते हैं तब लगता है कि क्या रोका और सगाई एक ही है ?
अगर आप भी ऐसी ही उधेड़-बुन में फंसे हैं तो मैं संस्कारी सुरभि, इस ब्लॉग में दर्शाऊँगी रोका और सगाई में अंतर।

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रोका ceremony और सगाई में क्या फर्क है? अंतर के 11 बिंदु
अगर हम जानना चाहते हैं कि रोका ceremony और सगाई में क्या फर्क है तो आवश्यक है इन दोनों रस्मों के पीछे छिपे प्रयोजन को समझना।
1.
शब्दों के अर्थ में ही छिपा है सगाई और रोका का पहला अंतर
रोका शब्द का अर्थ, ‘रोक लगाना’ है। यहाँ एक लड़की या लड़के के जीवनसाथी की तलाश पर रोक लगाई जा रही है क्यूंकि वह चुनाव हो चुका है।
सगाई में ‘सगा’ शब्द का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ है खून से जुड़े रिश्ते। यह दो ऐसे लोगों को साथ में बांधने और सगा बनाने की रस्म है जिनमे पहले से खून का रिश्ता नहीं है।
2.
रोका और सगाई का क्रम निश्चित है
अगर रस्म की क्रम श्रृंखला की बात करें तो विवाह की सबसे पहली रस्म है रोका। इसके बाद सगाई का तिलक किया जाता है।
इन दोनों रस्मों को आगे पीछे करना संभव नहीं है क्योंकि उससे इनका प्रयोजन ही विफल हो जाएगा।
3.
सगाई में होती है शुभ मुहूर्तं की तलाश
यह सत्य है कि भारतीय संस्कृति में हर शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है। परन्तु परिवार की सहमति अगर हो तो रोका बिना मुहूर्त देखे उसी समय किया जा सकता है।
सगाई का समारोह एक निर्धारित दिन पर किया जाता है। परिवारजनों का प्रयास यह रहता है कि शादी की ही भांति सगाई भी एक शुभ मुहूर्त पर और शुभ नक्षत्रों में ही की जाए।
4.
सगाई में तिलक के अलावा भी रस्में हैं
रोका और सगाई दोनों ही ceremony में तिलक होता है। रोका में तिलक ही मुख्य रस्म है जबकि सगाई में वर के तिलक के बाद बाकी रस्में भी होती हैं।
इन रस्मों में शामिल है लड़की का श्रृंगार और गोदभराई और बारी तब अंगूठी की आई।
5.
सगाई में लगता है रोके से ज्यादा समय
रोका ceremony में रस्म के तौर पर सिर्फ तिलक और शगुन होता है। उसमें समय भी कम लगता है। ये रस्म एक घंटे में भी निभाई जा सकती है।
सगाई में तिलक पूरी विधि विधान से मंत्र उच्चारण के संग होता है। साथ ही तिलक के बाद शगुन, कन्या का श्रृंगार, गोद भराई और अंगूठी पहनाने की रस्म भी होती है। ऐसे में यहाँ समय काफी लगता है।
6.
रस्म के स्तर के संग आगंतुकों की संख्या में होता है अंतर
रोका में घर के बस कुछ लोग ही होते हैं। वहीं सगाई से तो शादी की धूम धाम शुरू हो गई समझो। इसमें तो सब अपनों का शामिल होना बनता है।
सगाई में सब सगे सम्बन्धी, खास मित्र और पड़ोसी भी शामिल होते हैं। अब ये परिजन कितने होंगे? यह इस बात पर निर्भर करता है के परिवार जन कितना बड़ा समारोह करना चाहते हैं।
7.
रोका और सगाई में है खर्चे के स्तर का अंतर्
रोके में रस्म सिर्फ तिलक की होती है और शगुन भी छोटा होता है। सगाई में तिलक के अलावा भी और रस्में निभाई जाती हैं। इस कारण सगाई की रस्म में ज्यादा खर्चा होता है।
दोनों ही रस्मों पर कितना व्यय होगा ये पूर्णतः इस बात पर निर्भर करता है की परिजन उसपर कितना खर्च करना चाहते हैं या कर सकते हैं। दोनों ही रस्में बेहद सादगी से घर में भी संपन्न हो सकती हैं।
8.
रोका और सगाई की तिलक प्रक्रिया में मंत्रोच्चारण का अंतर है
रोके का तिलक घर में परिवार के लोगों के साथ ही किया जा सकता है। सगाई में परिवार और मित्र जनों के साथ घर के कुलगुरु, आचार्य या पंडित जी भी होते हैं।
सगाई के तिलक के दौरान धर्म के ज्ञाता विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं। इन मंत्रों के द्वारा ईश्वर से वर और कन्या के सभी ग्रहों की शान्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। साथ ही ये भी प्रार्थना की जाती है कि आगामी दिनों में नियत दिनांक पर विवाह निर्विघ्न संपन्न हो जाए।
9.
रोका और सगाई में है छोटी सी अंगूठी का बड़ा अंतर
रोका एक रिश्ते की सहमति की रस्म है जिसमें तिलक से रिश्ता पक्का होता है। दो दिलों के मिलने का असली सिलसिला तो इसके बाद शुरू होता है।
सगाई में लड़का और लड़की मन से एक दूसरे को स्वीकार कर चुके होते हैं। एक दूसरे को दिल से अपनाकर सगाई में अंगूठी ही पहनाई जाती है।
10.
सगाई और रोके में है रिश्ते की प्रगाढ़ता का अंतर
रोका में अक्सर शगुन सिर्फ वर और कन्या को ही दिया जाता है पर सगाई के दिन कन्या पक्ष के बड़े वर और उसके परिवार जनों को भी शगुन देते हैं।
इस दिन कन्या पक्ष के लोग वर पक्ष के अपने समकक्ष परिजनों को शगुन देते हैं। ये दो अलग परिवारों के जुड़ने की सूचक रस्म होती है।
11.
सगाई में होती है कन्या की गोद भराई
सगाई के दिन कन्या की सास, नन्द, जेठानी सब मिलकर प्यार से उसका श्रृंगार करती हैं और उसके सिर पर लाल रंग की चुनरी उढ़ाती हैं।
इसके बाद उसकी गोद में शगुन का सामान और ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद रखती हैं। ये रस्म रोका ceremony में नहीं होती।
देखा आपने! ऊपरी तौर पर समान दिखने और कही जाने वाली रोका ceremony और सगाई में जब अंदर जाकर देखा जाए तो बहुत अंतर है।
आशा है आप समझ पाए होंगे कि रोके का तिलक सगाई से कैसे अलग है। अगर आपके मन में कोई संदेह या प्रश्न हों तो मुझसे जरूर साझा करें। इससे मुझे भी अपने ब्लॉग को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!