क्या सगाई आपके मन में खटक रही है? असमंजस है कि सगाई तोड़ने पर भारतीय कानून क्या कहता है ?
मैं संस्कारी सुरभि, आपके लिए क़ानून की गठरी से ढूंढ कर लाई हूँ इस सवाल का जवाब। मैंने कभी Chartered Accountancy की पढ़ाई में contract law पढ़ा था। इस विषय को मैंने अपने भाई के साथ खोलना शुरू किया जो पेशे से वकील है। पेश हैं उस ज्ञान पिटारे के मोती आपके लिए।
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सता रहा है FIR का डर | जानिये सगाई तोड़ने पर भारतीय कानून
सगाई दो परिवार को एक दूसरे को जानने परखने का समय देती है। रिश्ता समझ न आये तो मन में क्या ख्याल आएगा? सगाई ही है तोड़ देते हैं। अब दूसरा पक्ष कानून की धमकी देता है।
इस ब्लॉग में मेरे साथ जानने की कोशिश करते हैं कि क्या सगाई तोड़ने पर FIR हो सकती है ?
सगाई कानून की नज़र में नहीं है एक वैध अनुबंध
देखने की जरुरत है कि क्या सगाई कानून की नज़र में एक वैध अनुबंध है। शादी एक कानूनी अनुबंध अर्थात एक legal contract है। सगाई को ऐसी जगह भारतीय क़ानून में नहीं मिली है।
सगाई एक नए रिश्ते की शिला रखने जैसा है। इसपर अभी रिश्ता स्थापित नहीं हुआ है। शादी से एक दिन पहले भी किसी पक्ष को इस रिश्ते को आगे बढ़ाने में संकोच हो तो रिश्ता तोड़ा जा सकता है। क़ानून इस बात का निर्णय पूर्णतः दोनों पक्षों को करने का अधिकार देता है। वो किसी अनुबंध में अभी बंधे ही नहीं हैं।
अगर सगाई भारतीय क़ानून में पहचान नहीं रखती तो इसके तोड़ने पर क्या होगा
भारत में सगाई के लिए कोई क़ानून नहीं बना है। जो निर्देश नागरिकों को कानून से मिले हैं वही लड़का-लड़की एवं उनके परिवारों पर लागू होते हैं।
क्या एक पक्ष की मर्जी बदल जाने से दूसरे का आर्थिक नुकसान हुआ है? अगर हाँ, तो दूसरे पक्ष को उसको भुगतान करना होगा।
Maharashtra High Court और Supreme Court का Judgement
महाराष्ट्र की लड़की की सगाई दिल्ली में एक डॉक्टर के बेटे से हुई। लड़के लड़की के प्रति कुछ असंतोष के चलते शादी से कुछ दिन पहले सगाई तोड़ दी। लड़की वालो ने लड़के और उसके परिवार के खिलाफ case किया। महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने आदेश दिया के सगाई तक जो वित्तीय नुक्सान पीड़ित पक्ष अर्थात लड़की वालो को हुआ है उसका भुगतान लड़के वाले करें। ऐसा करने पर भी लड़की ने लड़के के खिलाफ FIR वापिस नहीं ली। तब लड़के ने Case सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की वालो का वित्तीय नुक्सान पूरा किया जा चुका है। अब लड़के पर कोई case नहीं बनता। Court ने कहा कि सगाई तोड़ना कोई criminal offence नहीं है तो इसके लिए कोई सजा नहीं बनती। Case Supreme Court of India के सामने सुना गया है। यह verdict सभी राज्यों के लिए मान्य है। मतलब साफ़ है कि सगाई तोड़ने पर जो खर्चा या शगुन और सामान दूसरे पक्ष का है उसे लौटाना होगा। |
सगाई तोड़ना अपराध नहीं है पर तोड़ने की वजह हो सकती है सजा का कारण
पंजाब उच्च न्यायालय ने एक फैसला लड़की के हक़ में सुनाया। न्यायधीश ने कहा, सगाई लड़के को लड़की के साथ उसकी जबरदस्ती शारीरिक करीबियां बनाने का अधिकार नहीं देती है। इसे Molestation ही कहा जाएगा। ऐसे में सगाई कोई कानूनी हक नहीं देती पर लड़की के अधिकार भारतीय क़ानून में लिखे हैं।
उसी तरह अगर सगाई इसलिए तोड़ी गयी है क्यूंकि दहेज़ की मांग परेशान कर रही थी। तब क़ानून में दहेज़ के खिलाफ तो प्रावधान हैं। सगाई तोड़ना criminal offence नहीं है लेकिन दहेज़ माँगना criminal offence है, जैसे molest करना criminal offence है। ऐसे में सगाई तोड़ने के लिए नहीं लेकिन उसकी वजह के लिए पीड़ित पक्ष FIR कर सकता है। साथ ही कानूनी प्रावधान के अनुसार सजा भी हो सकती है।
FIR का डर आता है लड़केवालों के पक्ष में, क्या कहता है क़ानून
अक्सर FIR का डर लड़के वालों के पक्ष में ही आता है। मैं जब इस विषय में पढ़ रही थी तब मैंने अनेक लड़को की query देखी जिनमें उनको लड़की पसंद नहीं। यहाँ सगाई तोड़ने पर उनको लड़की वालों से FIR की धमकी मिलती है।
अगर लड़की वाले बिना आपकी गलती के सिर्फ सगाई तोड़ने पर FIR की धमकी देते हैं या डराते हैं तब आप उनके खिलाफ FIR अवश्य कर सकते हैं। धमकाना IPC के section 506 में एक criminal offence है। किसी पक्ष पर झूठे इल्जाम लगाना, उनकी property को नुक्सान पहुंचाना ये सब IPC में criminal offence हैं। इन बातों की व्यावहारिकता को देखते हुए बस सावधानी से चलने की आवश्यकता है।
ऐसे में आप कानूनी सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। वह आपके लिए advance bail के लिए apply कर सकते हैं। अगर लड़की वाले कोई FIR कर भी दें तब आपको कोई शर्मिंदगी न उठानी पड़ेगी और आपके पास सोचने का समय होगा।
Note
ऊपर कही बातें एक आम सगाई पर लागू होती हैं। अगर सगाई ऐसे लड़का और लड़की की हुई है जो पहले से live-in relationship में हैं तब बात बिलकुल अलग होगी। Live In relationship को court अलग नज़र से देखता है। एक verdict में कोर्ट ने कहा है कि ऐसे जोड़े को पति पत्नी की नज़र से ही देखा जाएगा और कानूनी प्रावधान लागू होंगे। |
यह थी मेरी सगाई पर कानूनी research जिसमें मैं आगे भी काम कर सुधार करूंगी। क़ानून के ज्ञाताओं से मेरा अनुरोध है कि वो इसपर अपनी विवेचना मेरे साथ comment section में ज़रूर साझा करें।
मैं रिश्तों को जितना अपने अनुभव से समझ रही हूँ, लगता है कि court का रास्ता सुख तो किसी को नहीं देता। यह बात सब पर लागू होती है। लड़की पक्ष को चाहिए कि अगर वित्तीय नुक्सान की भरपाई हो चुकी है तो सगाई टूटने को प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं और आगे बढ़ें।
लड़के वालों को चाहिए कि सगाई में दोनों परिवारों की मान और मर्यादा बनाएं रखें। नियत साफ़ रखें और किसी कानूनी उलझन से बचें।

रस्म और रिवाज़ हैं, एक दूसरे के हमदम!
कलम से पहरा इनपर, रखती हूँ हर दम!