हर माँ का सपना होता है कि कब उनके बेटे के सिर पर सेहरा सजेगा पर कभी सोचा है कि दूल्हा सेहरा क्यों पहनता है ?
आज इस सवाल का जवाब हम मेरे इस ब्लॉग में ढूंढेंगे।

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दूल्हा सेहरा क्यों पहनता है ? जानिए इस अलंकार का रहस्य
यूँ ही एक पुरोहित से बात करते हुए यह समझ आया कि आखिर दूल्हे को सेहरा क्यों पहनना चाहिए ?
जानते हैं इसका कारण।
वर है भगवान विष्णु का स्वरूप जिनको पसंद है श्रृंगार
विवाह संस्कार विधि की पुस्तक में अगर आप कन्यादान के बारे में पढ़ेंगे तो वहाँ एक श्लोक में कहा गया है ,
“वरौसौ विष्णु रूपेण”
अर्थात, वर विष्णु का स्वरूप है। आपने मंदिर में श्री विष्णु जी का विग्रह देखा होगा। उन्हें श्रृंगार बेहद पसंद है, इसलिए उन्हें विशिष्ट अलंकारों से सजाया जाता है।
इन्ही में से एक है मुकुट या किरीट जिसे फ़ारसी में सेहरा कहते हैं। वर को भी विवाह पूर्व विभिन्न अलंकारों से सजाया जाता था जो अब समय के साथ कम होते जा रहे हैं। सेहरा आज भी वर को विशिष्ठ बनाता है।
बारात की भीड़ में दूल्हे की पहचान है सेहरा
पुराने समय में बिचौलिये ही रिश्ते पक्का करा दिया करते थे और विवाह हो जाता था। दूल्हे को ज्यादा लोगों ने देखा ही नहीं होता था।
बारात की भीड़ में किसी के मन में दूल्हे को लेकर कोई असमंजस न हो इसलिए सेहरा पहनाया जाता था। कोई भी दूर से सेहरे में दूल्हे को पहचान सकता था। इस प्रकार सेहरा आज भी दूल्हे को बारात की भीड़ में अलग बनाता है।
किसी भी शुभ धार्मिक कार्य के अंतराल सिर को ढक कर रखना सनातन परम्परा है
मस्तिष्क हमारे शरीर का एक विशेष अंग है इसलिए उसे पगड़ी, टोपी या कपड़े से ढकने का विधान है। इसके विशेष लाभ सनातन में बताये गए हैं। सनातन धर्म के किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सिर को ढक कर रखा जाता है।
विवाह तो जीवन के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। ऐसे में सेहरे से दूल्हे का सिर ढक दिया जाता है। यह उसके मान का भी प्रतीक है।
परिवार की परम्पराओं और उससे जुड़ी जिम्मेदारियों का सूचक है सेहरा
घर के बड़े बारात के प्रस्थान के समय सेहरा पहनाते हैं। यह स्वीकृति सूचक होता है कि वर अपने घर-परिवार की परम्पराओं और जिम्मेदारियों का निर्वहन पहले की भांति ही करेगा।
इस तरह अपने खानदान की परम्पराओं का मान सिर पर रखकर वर विवाह करने निकलता है।
सेहरे पर सजती है कल्गी जिसको अपना मान स्वरूप दूल्हा कन्या पक्ष को सौंपता है
हम जिस भी वस्तु को मान देते हैं उसे हमेशा शीश से लगाते हैं। जिस सेहरे को दूल्हा अपनी परंपराओं और खानदान की मर्यादा का सूचक बनाकर पहनता है उसी पर सजी होती है कलंगी। सेहरे पर लगी कलंगी का क्या होता है ?
यह कलंगी दूल्हा, कन्या पक्ष को सौंपकर कन्या को विदा कराता है। यह इस बात का संकेत है कि वर केवल कन्या के रूप में कन्या पक्ष का मान सम्मान नहीं ले जा रहा है, बल्कि कलंगी रूप में अपना मान भी उन्हें सौंप कर जा रहा है।
यह थे दूल्हे के मुकुट या सेहरा पहनने के कारण। अगर आप इसके अलावा भी कोई कारण जानते हैं तो मुझसे अवश्य साझा करें। मुझे वह जानकारी अपने इस ब्लॉग में समिल्लित करने में बेहद ख़ुशी होगी।
आशा है कि आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। अपने विचार comment section में मुझसे अवश्य साझा करें।

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