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कभी दूल्हे को देखकर यह ख्याल आया है कि दूल्हा घोड़ी क्यों चढ़ता है ? अगर आया है तो आप भी सही जगह आ पहुंचे हैं।  

दूल्हा घोड़े पर क्यों नहीं बैठता और घोड़ी क्यों चढ़ता है, इसका जवाब मेरे इस ब्लॉग में जानेंगे।       दूल्हा घोड़ी क्यों चढ़ता है

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दूल्हा घोड़ी क्यों चढ़ता है ? जानें कुछ अनसुने तथ्य  

सनातन धर्म में विवाह की एक अभिन्न रस्म है घोड़ी पर सवार होकर वर का विवाह के लिए प्रस्थान करना।  

आइये जानते हैं कि दूल्हा घोड़ी पर ही क्यों शादी करने जाता है। 

 

सूर्य की संतानों की उत्पत्ति कथा में छिपी है घोड़ी चढ़ने की एक वजह

पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव की पत्नी संज्ञा सूर्य के तेज को सहने में असमर्थ थी। उन्होंने अपने स्वरूप की छाया को बनाकर सूर्य देव के साथ छोड़ दिया और खुद तप करने पृथ्वी पर चली गयीं। सूर्य देव को जब यह ज्ञात हुआ तब वह घोड़े के रूप में धरती पर आए। वहीं संज्ञा देवी घोड़ी रूप में आयी। तभी से वर अपनी वधू को लेने घोड़ी पर जाता है। यहाँ संज्ञा देवी को घोड़ी रूप में उत्पत्ति का कारक माना गया था।  

 

दूल्हे की परीक्षा – क्या वो चंचल स्वभाव वाली घोड़ी को काबू कर सकता है 

घोड़े की अपेक्षा घोड़ी एक बेहद चंचल स्वभाव का प्राणी है। ऐसा ही कुछ नारी के बारे में भी कहा जाता है। कहते हैं नारी को हठ से नहीं बल्कि प्रेम और संयम से जीता जा सकता है। वर अगर घोड़ी का सही संचालन कर लेता है तो इसे प्रतीक माना जाता है कि उसमें नारी के हठ और चंचलता को प्रेम से नियंत्रित करने की दक्षता है। इसी हुनर को कन्या पक्ष जब दूल्हे को घोड़ी पर बारात लाते देखता है तो प्रफुल्लित होता है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उनकी कन्या का वरण करने आया है।    

      

घोड़ी को उत्पत्ति का कारक माना गया है जबकि घोड़ा शौर्य और वीरता का प्रतीक है 

कभी सोचा आपने दूल्हा घोड़े पर क्यों नहीं बैठता है ? पुराने समय में राजा घोड़े पर युद्ध लड़ने जाते थे। तेज दौड़ने वाला घोड़ा राजा के शौर्य और वीरता में चार चाँद लगाता था। लेकिन जब वही राजा विवाह के लिए निकलता था तब उद्देश्य पराक्रम को दर्शाना नहीं होता था? अपितु प्रेमपूर्वक अपने वंश को आगे बढ़ाने वाली संगिनी का वरण करना होता था। ऐसे में वर रूप में राजा घोड़े की नहीं बल्कि उत्पत्ति की कारक माने जाने वाली घोड़ी की सवारी करते थे। 

विवाह के समय किसी भी दूल्हे को राजा की भांति ही सजाया जाता है तो फिर सवारी भी राजा के विवाह जैसी ही होगी न! 

 

ये थे दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के कारण। आशा है इससे आपके प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे। आपको यह ब्लॉग कैसा लगा इसका उत्तर मुझे comment section में ज़रूर बताएँ ।साथ ही अगर आपके अनुसार कोई और भी कारण है तो मुझसे ज़रूर साझा करें।

मेरे ब्लॉग का उद्देश्य सभी पाठकों तक रस्मों की जानकारी पहुंचाना है। ऐसे में अपने पाठकों से ज्ञानवर्धक जानकारी मिलना मेरे लिए हर्ष का विषय है ।