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विवाह अगर संस्कार विधि से करना हो तो यह सवाल बनता है कि शादी का मंडप कैसे तैयार करते हैं। 

अगर आप भी मंडप स्थापना की वो विधि जानना चाहते हैं तो मेरा यह ब्लॉग आपके लिए है।    

शादी का मंडप कैसे तैयार करते हैं

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शादी का मंडप कैसे तैयार करते हैं ? हर स्तम्भ का है महत्त्व 

विवाह सोलह संस्कार में से एक है तो ज़ाहिर है मंडप भी सोलह संस्कार विधि से बनना चाहिए। 

आगे जानते हैं कि संस्कार विधि में क्या लिखा है? शादी का मंडप कैसा होता है और उसमें देव स्थापना कैसे होती है। 

 

मंडप निर्माण के लिए क्या प्रयोग होता है 

विवाह संस्कार विधि के अनुसार मंडप निर्माण में 16 स्तम्भ गाड़े जाते है। स्तम्भ केले के पेड़ या काष्ट (वृक्ष के तने का अंदर का भाग) के होते हैं। काष्ट के स्तम्भ हैं तो आम, या जामुन के पेड़ का इस्तेमाल करें क्यूंकि ये वृक्ष शुभ माने गए हैं। इसके अलावा बांस का भी प्रयोग कर सकते हैं।    

इसकी छत फूस (कुशा) की बनाई जाती है। फूस आकाशीय ऊर्जा के प्रति non-conductor होता है। इस कारण से यह दूल्हा दुल्हन को बाहरी नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। इसके अलावा कुशा में वातावरण के बैक्टीरिया को सोखने और नष्ट करने की क्षमता होती है।  

 

मंडप के सोलह स्तम्भ किसका प्रतिनिधित्व करते हैं  

सोलह स्तम्भ सोलह देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनकी दिशा भी संस्कार विधि में निर्धारित है। हर स्तम्भ पर कौन से रंग की पताका लगेगी यह भी सोलह संस्कार विधि में बताया गया है। आपकी सहूलियत के लिए मैंने नीचे सोलह स्तम्भ देवता, उनकी दिशा और स्तम्भ पताका के रंग को सारणी में बांधने का प्रयास किया है।  

 

स्तम्भ, देव,  स्तम्भ दिशा और पताका का रंग 

ब्रह्म देव का स्तम्भ 

ईशान कोण (South West Corner)

(लाल पताका) 

विष्णु देव का स्तम्भ 

आग्नेय कोण में (पीली पताका) 

शंकर देव का स्तम्भ 

नैऋत्य कोण में (सफ़ेद पताका) 

इंद्र देव का स्तम्भ 

वायव्यै कोण में (पीली पताका) 

सूर्य देव का स्तम्भ 

ईशान कोण के सामने (लाल पताका) 

6

गणेश जी का स्तम्भ 

ईशान कोण और पूर्व के मध्य (सफ़ेद पताका) 

यम देव का स्तम्भ 

पूर्व और आग्नेय कोण के मध्य (स्लेटी पताका) 

स्कन्द देव का स्तम्भ 

आग्नेय कोण के सामने (स्लेटी पताका)

अनंत वासुकि देव का स्तम्भ 

आग्नेय कोण और दक्षिण के मध्य (स्लेटी पताका) 

10 

वायु देव का स्तम्भ 

दक्षिण और नैऋत्य कोण के सामने (भूरी पताका) 

11 

सोम देव का स्तम्भ 

नैऋत्य कोण के सामने (पीली पताका) 

12 

वरुण देव का स्तम्भ 

नैऋत्य कोण और पश्चिम के मध्य (सफ़ेद पताका) 

13 

वसु जी का स्तम्भ 

वायव्यै कोण और पश्चिम के मध्य (सफ़ेद पताका) 

14 

कुबेर जी का स्तम्भ 

वायव्यै कोण के सामने (पीली पताका) 

15 

बृहस्पति देव का स्तम्भ 

वायव्यै कोण और उत्तर के बीच (पीली पताका) 

16 

विश्वकर्मा जी का स्तम्भ 

उत्तर और ईशान कोण के मध्य (लाल पताका) 

 

मंडप गाड़ते समय किन बातो का ध्यान रखना है 

स्तम्भ गाड़ते समय ध्यान रहे कि मंडप की लम्बाई और चौड़ाई बराबर होनी चाहिए। मंडप में केवल स्तम्भ ही नहीं होतेचार प्रमुख दिशाओं में चार द्वार भी होते हैं। इन दिशाओं में चार कलश स्थापित होते हैं जो चार वेदों का स्वरूप होते हैं।    

दिशा द्वार  वेद 
पूर्व द्वार  ऋग्वेद 
दक्षिण द्वार  यजुर्वेद 
पश्चिम द्वार  सामवेद 
उत्तर द्वार  अथर्ववेद 

 

मंडप के अंदर वेदी का निर्माण कैसे करें    

वेदी वह हवन कुंड है जिसमें अग्नि को प्रज्वलित कर उसके चारों तरफ वर एवं कन्या फेरे लेते हैं। आजकल बैंक्वेट हॉल में लोहे के हवन कुंड का इस्तेमाल होता है। आप मंडप का निर्माण कर रहे हैं तो कोशिश कीजिये कि वेदी भी बना पाएं। 

यह ईंट और गारा अर्थात मिट्टी की मदद से बनती है और बाद में हटाई जा सकती है। इसका एक और फायदा है कि मिटटी की वेदी हवं के समय गरम नहीं होती है। वेदी 4 x 4 हाथ चौड़ी होती है और एक हाथ ऊंची बनती है।       

 

बहुत confusing हो गया , तो फिर इस पूरी जानकारी को चित्र में देखते हैं। 

                   मंडप रूपरेखा 

 

स्तम्भ गाड़ने के बाद स्तम्भ पूजन क्यों जरूरी है 

स्तम्भ पूजन वो ज़रूरी रस्म है जो आजकल के परिवेश में हो ही नहीं रही है। आखिर यही तो वो समय है जब सोलह स्तम्भ में सोलह देवताओं का आह्वान किया जाता है। वही तो विवाह के मुख्य साक्षी होते हैं। वो विवाह वाले घर की, परिवार की,वर- कन्या और उनके भाग्य की रक्षा करते हैं। कुल मिलाकर सब मंगल करते हैं।  

 

मंडप की सजावट कैसे करें 

मंडप की सजावट गेंदे या मोगरे के फूलों से की जाती है। साथ ही चमकीली शुभ रंग वाली चुन्नियों का भी प्रयोग किया जाता है। आजकल मंडप और वेदी की सजावट में जैसे होड़ सी ही लगी है। क्यूंकि मैं दिल्ली में रहती हूँ तो यह देखती रहती हूँ कि लोग english color के फूलों से मंडप सजाते हैं। हमने भी अपने घरों की शादियों में ऐसा ही किया था। 

अब मैंने जाना कि गेंदे के फूलों की खुशबू का कितना महत्व है। सिर्फ सांस्कृतिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी। सुन्दर तो ये दिखते ही हैं पर इनकी खुशबू शरीर में मन को प्रसन्न करने वाले तरल का रिसाव बढ़ाने की ताकत रखती है।  

 

देवताओं को आमंत्रित कर आपका मंडप तैयार है शुभ लग्न के इन्तजार में। ईश्वर करे कि हर विवाह शुभ हो।  मैं आपसे निवेदन करूंगी, वैदिक विवाह की कुछ रस्में समय के साथ शायद उपयुक्त न लगे लेकिन बहुत सी रस्मों का गूढ़ रहस्य है। 

ऐसी रस्मों को वैदिक विधि के अनुसार ही अदा करें। मंडप की स्थापना भी ऐसी ही एक रस्म है। इसको समझकर अपने कुलगुरु अथवा पंडित जी के सानिध्य में ही इसे स्थापित करें।